नकली बीज का पता लगाने ट्रेक एंड ट्रेस प्रणाली का होगा इस्तेमाल, दो साल में 6 हजार किसानों ने की आत्महत्या

डिजिटल खेती अभियान नकली बीज का पता लगाने ट्रेक एंड ट्रेस प्रणाली का होगा इस्तेमाल, दो साल में 6 हजार किसानों ने की आत्महत्या

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-23 16:49 GMT
नकली बीज का पता लगाने ट्रेक एंड ट्रेस प्रणाली का होगा इस्तेमाल, दो साल में 6 हजार किसानों ने की आत्महत्या

डिजिटल डेस्क, मुंबई। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि डिजीटल खेती अभियान के तहत फसलों के नकली बीज का पता लगाने के लिए ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के जरिए असली और नकली शराब का पता चल जाता है। इसी तरह अब नकली बीज के बारे में पता लगाने के लिए ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रणाली को शुरू करने में थोड़ा समय लगेगा। लेकिन सरकार इस प्रणाली को लागू करेगी। मंगलवार को सदन में नियम 260 के तहत राज्य में भारी बारिश और अतिवृष्टि से हुए नुकसान को लेकर हुई चर्चा के जवाब में उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि प्रदेश में फसलों को हुए नुकसान के लिए अब मोबाइल एप के माध्यम से ई-पंचनामा होगा। इससे नुकसान के लिए मदद राशि सीधे किसानों के आधार कार्ड आधारित बैंक खाते में जमा हो सकेगी। 

मध्यप्रदेश की तर्ज पर होगा ड्रोन का इस्तेमाल

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि फसलों के सर्वेक्षण के लिए मध्यप्रदेश की तर्ज पर ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने आपदा प्रभावित किसानों को एनडीआरएफ के प्रावधानों की तुलना में दोगुना मदद राशि उपलब्ध कराने का फैसला किया है। जिरायती फसलों का हुए नुकसान के लिए किसानों को प्रति हेक्येटर 13 हजार 600 रुपए की मदद दी जाएगी। बागायती फसलों की हुई क्षति के लिए प्रति हेक्येटर 27 हजार रुपए की मदद उपलब्ध कराई जाएगी। फलबाग के नुकसान के लिए प्रति हेक्येटर 36 हजार रुपए की मदद राशि उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार की ओर से किसानों को मदद राशि जल्द उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि गोगलगाय कीड़ से फसलों को हुए नुकसान के लिए किसानों को मदद उपलब्ध कराने के बारे में विशेष शासनादेश जारी किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नियमित कर्ज भरने वाले किसानों को 50 हजार रुपए की मदद सितंबर महीने से दी जाएगी। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि 22 अगस्त से राज्य में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण 81 लाख 21 हजार हेक्येटर का फसलों का नुकसान हुआ है। जिरायती फसलों की जमीन 17 लाख 59 हजार 633 हेक्टेयर, बागायती फसलों की जमीन 25 लाख 476 हेक्टेयर और फलबाग की 36 लाख 294 हेक्टेयर जमीन का नुकसान हुआ है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि प्राकृतिक आपदा के चलते 138 लोगों की मौत हुई है। मृत व्यक्तियों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए की मदद की गई है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कपड़ा और बर्तन का हुए नुकसान के लिए 5 हजार के बजाय 15 हजार रुपए की मदद देने का फैसला लिया गया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अतिरिक्त स्वयंचलित मौसम यंत्र लगाए गए हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग करके पुनर्वसन की नई नीति बनाई जाएगी।

दो साल में 6 हजार 498 किसानों ने की आत्महत्या

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि साल 2020 और साल 2021 में राज्य में 6 हजार 498 किसानों ने आत्महत्या की है। मैं किसान आत्महत्या के लिए केवल पूर्व की महाविकास आघाड़ी सरकार को दोष नहीं दूंगा। दुर्भाग्य से पिछले 20 से 25 सालों में किसान आत्महत्या महाराष्ट्र पर लगा हुआ एक अभिशाप है। इस अभिशाप को दूर करने के लिए शाश्वत खेती एक विकल्प है। जिन इलाकों में सूखा पड़ता है वहां पर किसान आत्महत्या अधिक होती है। लेकिन जिन इलाकों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध है वहां पर किसानों की आत्महत्या कम है। इसलिए सरकार ने समुद्र में बहकर जाने वाला पानी सूखा प्रभावित इलाकों में ले जाने का फैसला किया है। 

 

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