जिस युवक का 1984 में हुआ था जन्म, उसे 12 वर्ष पहले ही नजूल भूमि का बना दिया मालिक
दस्तावेजों से उजागर हुई कारनामों की कहानी जिस युवक का 1984 में हुआ था जन्म, उसे 12 वर्ष पहले ही नजूल भूमि का बना दिया मालिक
डिजिटल डेस्क,कटनी। सुधार न्यास योजना में एक तरफ जहां हितग्राहियों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। वहीं योजना क्रमांक 12 में 475 वर्गमीटर में गड़बड़झाला सामने आने पर राजस्व और नगर निगम के तत्कालीन अधिकारी सवालों के घेरे में हैं। अफसरों के कारनामों की असली कहानी निर्धारित दस्तावेज से सामने आई। राजस्व रिकार्ड में जिस युवक का नाम 1972-73 के खसरा पत्रक में दर्ज कर दिया गया था। स्कूल की दाखिल रजिस्टर में उस युवक का जन्म ही 6 जुलाई 1984 को हुआ था। कक्षा पहली में उसे 1990 में प्रवेश दिया गया। इसके बावजूद अफसर और जमीन के मामले में बिचौलिए सांठगांठ करते हुए जन्म के 12 वर्ष पहले ही उसे जमीन का मालिक बना दिए थे। जिसकी शिकायत कलेक्टर सहित निगमायुक्त से की गई है। निगमायुक्त ने शिकायत के बाद इसमें जांच बैठा दी है।
अभिलेखों में छेड़छाड़
शिकायकर्ता ने पत्र में आरोप लगाया है कि जिस युवक का जन्म हीं नहीं हुआ था। उसे किस तरह से उक्त जमीन का भूमि मालिक बना दिया। यह समझ से परे है। शासकीय भूमि खसरा पंचशाला में वर्ष 1954-55 से लगातार दर्ज रही। इसके बावजूद कूटरचित दस्तावेज के आधार पर यह खेल कर दिया गया। शिकायतकर्ता राजू गुप्ता ने यह भी उल्लेख किया है कि जिस सन में अजय को भूमि मालिक बताने का काम कटनी तहसील के नाम से किया गया है। उस समय जबलपुर जिला अंतर्गत यह तहसील मुड़वारा के नाम से प्रचलित था। इसके बावजूद अफसरों ने यह कारनामा कर दिखाया।
पर्दे के पीछे रहे अन्य लोग
इस मामले में पर्दे के पीछे अन्य लोगों के रहने की भी बात शिकायत पत्र में बताई गई है। जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर इस कार्य को अंजाम दिया है। वर्ष 2019 में नजूल तहसीलदार व राजस्व निरीक्षक की मिलीभगत से शासकीय अभिलेख में अजय का नाम दर्ज किया गया था। शिकायत कर्ता ने कहा कि जिस तरह से यहां पर नजूल की भूमि में कब्जा किया जा रहा है। उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि करोड़ों की जमीन में जल्द ही कब्जाधारियों का बोलबाला हो जाएगा। जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
हर जगह पर लगी नजर
यह पहला मामला नहीं है, जब नजूल की भूमि में इस तरह का खेल किया गया हो। इसके साथ ही कई जगहों पर अभी भी नजूल की भूमि में बेजा कब्जा का खेल जारी है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि कांग्रेस शासनकाल में शहर के जिस नजूल भूमियों से अवैध कब्जा हटाया गया था। वहां पर फिर से इसका खेल शुरु हो गया है। जिसमें राजस्व विभाग के अफसर मौन धारण किए हुए हैं। गौ-शाला की भूमियों का भी अस्तित्व मिटता जा रहा है।
इनका कहना है
इस संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है। शिकायत की जांच के लिए कमेटी बना दी गई है। जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे। उसके अनुसार आगे की कार्यवाही की जाएगी। -सत्येन्द्र धाकरे, निगमायुक्त