शहर के स्कूलों को स्मार्ट बनाने का रहा दावा, बैठने नहीं है फर्नीचर

कटनी शहर के स्कूलों को स्मार्ट बनाने का रहा दावा, बैठने नहीं है फर्नीचर

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-12 11:58 GMT
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डिजिटल डेस्क,कटनी। शहर के स्कूलों को स्मार्ट बनाने का दावा तीन वर्ष के बाद भी पूरा नहीं हो सका है। कोरोना संक्रमण कॉल के पहले नगर के 70 विद्यालयों में एलईडी टीवी, प्रोजेक्टर और कम्प्यूटर के माध्यम से प्रशासन ने अध्ययन के लिए जो सपना संजोया हुआ था। वह सपना जिम्मेदारों की सुस्ती से अधूरा ही रह गया। दरअसल नगर निगम और शिक्षा विभाग की एक संयुक्त बैठक हुई थी। जिसमें प्रतिवर्ष शिक्षा उपकर की मिलने वाली राशि से मुख्यालय के सभी स्कूलों में चकाचक व्यवस्था बनाने की रणनीति तैयार की गई थी।

इसमें से दो से तीन स्कूल ही ऐसे रहे, जहां पर सीएसआर मद से प्रोजेक्टर और कम्प्यूटर मिलने से स्मार्ट पढ़ाई के बारे में वहां के विद्यार्थी जाने, लेकिन 97 फीसदी स्कूलों के बच्चे पढ़ाई में स्मार्ट नहीं बन सके। अब दोनों विभाग एक-दूसरे को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। स्मार्ट क्लास के दावों के बीच जब स्कूलों की मैदानी हकीकत की जानकारी ली गई, तो कई स्कूलों में विद्यार्थियों के हिसाब से व्यवस्था नहीं मिली। परेशानियों से विभाग के जिम्मेदारों को कोई सरोकार नहीं है।

पचास वर्ष से रेलवे के गोदाम में संचालित है, शाला भवन

एनकेजे एरिया में रेलवे के गोदाम में संचालित होने वाला प्राथमिक शाला का भवन भी बदहाल है। पचास वर्ष पहले शिक्षा विभाग ने यहां पर रेल कर्मचारियों के बच्चों के लिए स्कूल खोली थी, लेकिन पचास वर्ष बीतने के बाद भी इस स्कूल को नया भवन नहीं मिला है, लोगों का कहना है कि यहां पर अफसरों के बच्चे नहीं पढ़ते, नहीं अभी तक इस स्कूल को नया भवन मिल गया होता। सितम्बर में यहां पर हादसा भी हो चुके है। एमडीएम  के समय जहां कुछ बच्चे मैदान में खेल रहे थे। वहीं कुछ बच्चे कमरे के अंदर रहे। खेलते-खेलते सीमेंट की सीट गिर गई थी। जिसकी चपेट में दो बच्चे आ गए थे। ननि के ठीक पास केसीएस स्कूल में तो गायब हैं कम्प्यूटर नगर निगम के बगल से ही केसीएस स्कूल है। पढ़ाई के लिए यह स्कूल सबसे बेहतर जाना जाता है। अभिभावक भी अपने बच्चों को इस स्कूल में प्रवेश दिलाते हैं। कक्षा बारहवीं तक इस स्कूल में 300 से अधिक विद्यार्थी हैं।

प्रेक्टिकल लैब तो बने हैं, लेकिन कंप्यूटर लैब नहीं है। सात से आठ वर्ष पहले इसी स्कूल के अंदर एक कम्प्यूटर लैब नगर निगम ने खोला था। इस लैब का उद्देश्य जहां शहर की कन्याओं और युवतियों को कम्प्यूटर में दक्ष बनाने का रहा। वहीं स्कूल के बच्चों को भी कम्प्यूटर की शिक्षा देने के लिए योजना बनाई गई थी। अब लैब के कम्प्यूटर गायब हो चुके हैं। कक्ष जर्जर हो चुका है।

विद्यार्थियों के लिए लैब ही नहीं

साधूराम स्कूल जिसमें पढक़र विद्यार्थी प्रशासनिक अफसरों के पदों पर पहुंचकर जिम्मेदारियों का निर्वहन किए हैं। उस स्कूल में तो अब साइंस का प्रेक्टिकल लैब भी नहीं है। यहां पर पहले जो लैब बना था। आगजनी की घटना में लैब की सामग्री खाक हो चुकी थी। इसके बाद दोबारा से लैब बनाए जाने की किसी तरह से सार्थक पहल नहीं हुई। जिस स्कूल में कक्षा बारहवीं तक सभी संकायों की पढ़ाई होती थी, लैब बंद हो जाने से अब तो साइंस और मैथ्स की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी यहां पर प्रवेश लेने में भी कतराते हैं। लापरवाही का आलम यह है कि यहां पर भले ही बच्चे कम हों और मूलभूत सुविधाओं की दरकार हो। इसके बावजूद नगर निगम के कर्मचारी अपने रिश्तेदारों या फिर चहेतों को यहां पर आउटसोर्स से रखे हुए हैं। ऐसे हालातों में बच्चों की समग्र शिक्षा पर भी असर पड़ रहा है। अभिभावकों ने बच्चों की शिक्षा में होने वाली इस तरह की कमी को पूरा कराए जाने की अपेक्षा की है।

इनका कहना है

स्मार्ट क्लास की योजना शिक्षा विभाग ने बनाई थी। नगरीय निकाय के भवनों में जो स्कूल संचालित हैं। वहां पर संसाधन की व्यवस्था नगर निगम के अधिकारियों को ही करनी है। इस संबंध में कई बार नगर निगम से पत्राचार किया गया है।
-मुकेश द्विवेदी, प्रभारी स्मार्ट क्लास जिला शिक्षा कार्यालय कटनी
 

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