वर्ल्ड कैंसर-डे: बनने के बाद भी हैंडओवर नहीं हुई बिल्डिंग, 2015 में शुरू हुआ प्राेजेक्ट
जबलपुर वर्ल्ड कैंसर-डे: बनने के बाद भी हैंडओवर नहीं हुई बिल्डिंग, 2015 में शुरू हुआ प्राेजेक्ट
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में न सिर्फ संभाग बल्कि पूरे महाकाेशल, विंध्य और बुंदेलखंड के कुछ हिस्सों से कैंसर के मरीज उपचार के लिए आते हैं। 8 वर्ष पहले इन मरीजों को स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का सपना दिखाया गया और प्रोजेक्ट को 4 वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य भी रखा गया लेकिन 8 वर्ष बीतने के बाद भी सपना अधूरा है। अधूरा इसलिए कि इंस्टीट्यूट की बिल्डिंग बनने के बाद भी कॉलेज को हैंडओवर नहीं की गई है। मरीजों के दबाव को देखते हुए ओपीडी, वार्ड और डे-केयर वार्ड को पुरानी बिल्डिंग से शिफ्ट कर नई बिल्डिंग में शुरू तो कर दिया गया है लेकिन अत्याधुनिक मशीनों के अभाव में मरीजों को बेहतर उपचार नहीं मिल रहा है। मरीज आज भी दशकों पुरानी मशीनों से थैरेपी कराने मजबूर हैं। नई बिल्डिंग में बिस्तरों की क्षमता 200 तक है लेकिन इसके मुकाबले स्टाफ नहीं है। जानकारी के अनुसार इंस्टीट्यूट में लीनियर एक्सीलेटर मशीन लगाई जानी है जो कि राज्य शासन द्वारा प्रदान की जानी है लेकिन यह मशीन कब मिलेगी किसी के पास ठोस जवाब नहीं है।
4 वर्ष में होना था पूरा, वार्ड तैयार पर स्टाफ की कमी
समय के साथ बढ़ रहे मरीज
चिकित्सकों के अनुसार बीते कुछ वर्षों में मेडिकल कॉलेज के कैंसर हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। पहले जहाँ रोजाना 100 से 150 मरीज आते थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 200 तक पहुँच रही है। नई बिल्डिंग में शिफ्टिंग के बाद बिस्तरों की संख्या 70 पहुँच गई है, पुरानी बिल्डिंग की क्षमता 53 बिस्तरों की थी।
लीनियर एक्सीलेटर मशीन का इंतजार
जानकारी के अनुसार इंस्टीट्यूट में आधुनिक मशीनें लगाई जानी हैं। इनमें सबसे प्रमुख लीनियर एक्सीलेटर मशीन है। यह थैरेपी में प्रयोग की जाने वाली कोबाल्ट मशीन का आधुनिक रूप है। यह ज्यादा सुरक्षित और बेहतर है। स्थिति यह है कि राज्य कैंसर इंस्टीट्यूट का तमगा मिलने के बाद इस मशीन के अभाव में भी कई मरीजों को इंदौर और भोपाल रेफर किया जा रहा है।
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट
135 करोड़ लागत
2015 बनने की शुरुआत
200 बिस्तरों की कुल संख्या
40 आईसीयू बेड
एक नजर प्रोजेक्ट पर
2014 में प्रोजेक्ट की घोषणा
2016 में भवन निर्माण शुरू हुआ
50 करोड़ रुपए से भवन निर्माण
85 करोड़ रुपए से अन्य संसाधन
2018 से उपचार शुरू होना था
इंस्टीट्यूट बनने के बाद
कैंसर मरीजों के लिए आधुनिक वार्ड
सर्जिकल फैसेलिटी बढ़ेगी
इलाज की एडवांस थैरेपी मशीनें
बिस्तर बढ़ने से वेटिंग कम होगी
6 आधुनिक ऑपरेशन थियेटर