ग्रहण निकलने के घंटे भर बाद खुले मंदिरों के पट, कल शाम से ही बंद कर दिए गए थे
ग्रहण निकलने के घंटे भर बाद खुले मंदिरों के पट, कल शाम से ही बंद कर दिए गए थे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। साल का आखिरी सूर्यग्रहण भारी कोहरे और बारिश के बीच गुजरा। ग्रहण समाप्त के कुछ समय बाद मंदिरों के पट खोल दिए गए। पुजारियों ने मंदिरों का शुद्धिकरण कर पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं ने दर्शन का लाभ लिया। शहर के अनेक मंदिर 12 बजे के बाद ही खोले गए। वैसे तो यह खगोलीय घटना है और इसे मानने वालों का अपना-अपना नजरिया होता है। धामिर्क परंपरा के अनुसार ग्रहण काल के दौरान पूजा-अर्चना और खान-पान वर्जित होता हैै । वैज्ञानिक भाषा में यह तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के सामने पृथ्वी पर किसी स्थान से देखा जाता है।
सूर्यग्रहण के दौरान यह काफी मंद हो जाता है क्योंकि चंद्रमा अधिक से अधिक सूर्य का कवर कर लेता है।ग्रहण के दौरान कुछ समय के लिए पूरे सूर्य को ढक लेता है जिससे काफी अंधेरा हो जाता है। ग्रहण के परिणामस्वरुप पृथ्वी के कुछ हिस्से चंद्रमा की छाया में ढंक जाते हैं। सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है।
वैसे तो सूर्यग्रहण का सूतक बुधवार रात 8 बजे से लग गया था। मंदिरों के पट भी 5.39 बजे बंद कर दिए गए थे। गुरुवार की सुबह 10.59 पर सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों का शुद्धिकरण कर पूजा आरती की गई। सूतक ग्रहण में नियम है कि जब भी ग्रहण का वेद शुरू होता है तो मूर्ति स्पर्श या पूजन नहीं किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार देव दर्शन भी इस अवसर पर नहीं किया जाना चाहिए। सूतक समाप्त होने के बाद देव दर्शन किए जा सकते हैं। विदर्भ में ग्रहण की अवधि करीब 3 घंटे तक रही।। ग्रहणकाल में धार्मिक मान्यताओं का पालन करना स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। ग्रहण को लेकर धार्मिक मान्यताएं कुछ निर्देश देती है वहीं इसके वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे होते हैं।
2020 में होंगे 6 ग्रहण
2020 में कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं, जिनमें पहला चंद्रग्रहण 10 जनवरी को होगा, दूसरा भी चंद्रगहण है जो 5 जून को रहेगा। तीसरा सूर्यग्रहण रहेगा जो 21 जून को रहेगा। चौथा चंद्रगहण 5 जुलाई को होगा। पांचवां सूर्यगहण रहेगा जो 30 नवंबर को रहेगा और अंतिम ग्रहण 15 दिसंबर को रहेगा। सारे ग्रहण अलग-अलग देशों में समयानुसार मान्य रहेंगे।