विधान सभा में गूंजा मुख्यमंत्री सरोवर के 6 करोड़ का टेंडर घोटाला , मुख्य अभियंता करेंगे जांच
विधान सभा में गूंजा मुख्यमंत्री सरोवर के 6 करोड़ का टेंडर घोटाला , मुख्य अभियंता करेंगे जांच
डिजिटल डेस्क, कटनी। प्रदेश में हुए ई-टेंडर घोटाला की तरह कटनी जिले में मुख्यमंत्री सरोवर में भी टेंडर घोटाला सामने आया है। विधानसभा में मामला पहुंचने के बाद शासन ने मुख्य अभियंता से जांच कराने का आश्वासन दिया है। कटनी जिले के पांच करोड़ 97 लाख रुपये की लागत से स्वीकृत सात मुख्यमंत्री सरोवरों के लिए अगस्त 2018 एवं जनवरी 2019 में बुलाए गए टेंडर में अयोग्य ठेकेदार की निविदा स्वीकृत करने का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री सरोवर में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग को निर्माण एजेंसी बनाया गया है। इस मामले में मुड़वारा विधायक संदीप जायसवाल ने मामला उठाया। विधानसभा प्रश्न क्रमांक 284 में श्री जायसवाल ने कहा कि संबंधित अधिकारियों ने बालाजी कृपा कंपनी के दस्तावेजों का सत्यापन किए बिना ही टेंडर स्वीकृत कर दिए। विधायक प्रश्न के जवाब में प्रदेश के पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी से एक माह में जांच कराने का आश्वासन दिया है।
जनपद सीईओ ने जारी किया अनुभव प्रमाण पत्र
विधायक ने विधानसभा में उठाए मामले में कहा कि बालाजी कृपा कंपनी को जनपद पंचायत बड़वारा के सीईओ द्वारा जारी किए गए अनुभव प्रमाण पत्र लेख किया है कि बालाजी कृपा कंपनी के संचालक बचनाराम विश्नोई पिता बीरबल राम विश्नोई ग्राम पोस्ट बम्हौरी तहसील बरही, जिला कटनी ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन मिशन बड़वारा के तहत ब्लाक समन्वयक द्वारा प्रस्तुत जानकारी अनुसार ग्राम पंचायतों तालाब निर्माण एवं खेत तालाब के कार्य संपादित कराए जाने में सहयोग किया। विधायक ने सवाल उठाया कि जनपद सीईओ तकनीकी अधिकारी नहीं है, जबकि निविदा शर्त के अनुसार तकनीकी अधिकारी का अनुभव प्रमाण पत्र आवश्यक है। जैसा की प्रमाण पत्र की इबारत से ही स्पष्ट होता है कि बालाजी कृपा कंपनी के संचालक ने कार्य नहीं किया वरन सहयोग किया है। जबकि निविदा में भाग लेने वाली कंपनी को 50 लाख तक के कार्य कराने का अनुभव होना आवश्यक है।
इनका कहना है
20 लाख से अधिक के कार्यों की निविदा स्वीकृति की कार्यवाही अधीक्षण यंत्री स्तर के अधिकारियों द्वारा की जाती है। बालाजी कृपा कंपनी को बड़वारा जनपद के सीईओ द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया गया था, इसकी वैधता का परीक्षण अधीक्षण यंत्री कार्यालय द्वारा किया जाना था। निविदा स्वीकृति के बाद कार्यपालन यंत्री की हैसियत से चार कार्यों का कार्यादेश जारी किया गया है। - सुरेश सिंह टेकाम, कार्यपालन यंत्री आरईएस