आदिवासी और सामाजिक न्याय विभाग की निवासी आश्रमशालाओं में लड़कियां असुरक्षित

छात्रा से रेप मामला आदिवासी और सामाजिक न्याय विभाग की निवासी आश्रमशालाओं में लड़कियां असुरक्षित

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-30 12:52 GMT
आदिवासी और सामाजिक न्याय विभाग की निवासी आश्रमशालाओं में लड़कियां असुरक्षित

डिजिटल डेस्क, मुबई। आदिवासी व सामाजिक न्याय विभाग की आश्रमशालाओं में लड़कियों के यौन उत्पीड़न का घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। राज्य सरकार को वहां रहने वाली छात्राओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। शिवसेना (उद्धव गुट) की प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य डॉ. मनीषा कायंदे ने शनिवार को यह मांग की। उन्होंने कहा कि नाशिक जिले की पेठ तहसील स्थित भुवन की आश्रम शाला में सातवीं में पढ़ने वाली छात्रा के साथ आश्रमशाला अधीक्षक सुरेश तायडे ने दुष्कर्म किया। 9 अप्रैल को हुई वारदात के बाद आश्रमशाला के अन्य कर्मचारियों, मुख्याध्यापक, आदिवासी विकास परियोजना अधिकारी ने स्थानीय पुलिस की मदद से मामले को दबाने की कोशिश की। पीड़िता के परिवार को भी वारदात की जानकारी नहीं दी गई। आठ दिन बाद पीड़िता के भाई को जानकारी हुई तो उसने पुलिस से शिकायत की। दुष्कर्म के 8 दिनों बाद पीड़िता का मेडिकल हुआ। पुलिस की लापरवाही के चलते आरोपी को जमानत मिल गई। इससे बच्ची के परिजनों में पुलिस के प्रति भारी नाराजगी है। 

आरोपी को बचाने वालों को निलंबित करें

पार्टी प्रवक्ता कायंदे ने कहा कि आरोपी को बचाने वाले पुलिस और दूसरे कर्मचारियों को निलंबित कर जांच करनी चाहिए। उन्होंने पीड़िता को जिले की दूसरी आश्रमशाला में भेजने, मनोधैर्य योजना के तहत आर्थिक मदद देने और उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार से उठाने की मांग की है।

आरोपी से पीड़िता को खतरा

सुश्री कायंदे ने कहा कि आरोपी जमानत पर है। पीड़िता को खतरा हो सकता है। सरकार को उसकी सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने महिला जांच अधिकारी और वरिष्ठ वकील नियुक्त करने की भी मांग की। 


 

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