बागियों का दम : शिवसेना भाजपा उम्मीदवारों को पछाड़ा, उतार-चढाव भरे मुकाबले में जीते कुंभारे
बागियों का दम : शिवसेना भाजपा उम्मीदवारों को पछाड़ा, उतार-चढाव भरे मुकाबले में जीते कुंभारे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानसभा चुनाव में पार्टी टिकट पाने से चूके नेताओं ने बगावत करके अपना बल दिखाया है। कुछ सीटों पर सीधे जीत के करीब पहुंच गए है तो कुछ सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को पीछे रहने की स्थिति में पहुंचा दिया है। नागपुर जिले की रामटेक विधानसभा सीट से शिवसेना के बागी आशीष जैस्वाल ने निर्दलीय चुनाव लड़कर मैदान मार लिया है। भंडारा में शिवसेना के बागी नरेंद्र भोंडेकर, तुमसर में भाजपा के बागी चरण वाघमारे व गोंदिया में भाजपा के बागी विनोद अग्रवाल चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि उनकी जीत की घोषणा फिलहाल नहीं हो पायी। रामटेक लोकसभा क्षेत्र में शिवसेना का सांसद होने के बाद भी भाजपा शिवसेना गठबंधन के तहत शिवसेना को सीट नहीं मिल पायी थी। आशीष जैस्वाल शिवसेना से 2 बार विधायक रहे हैं। 2014 में गठबंधन नहीं होने से भाजपा के साथ मुकाबलेे में जैस्वाल पराजित हो गए थे। बाद में उन्हें राज्य खनिज महामंडल का अध्यक्ष बनाया गया। पेशे से वकील आशीष जैैस्वाल विदर्भ में शिवसेना के प्रमुख नेताओं में शामिल हैं। टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। भाजपा उम्मीदवार व विधायक मलिकार्जुन रेड्डी को उन्होंने 38 हजार वोटों के अंतर से पराजित कर दिया है।
इसलिए नहीं हुई तीन मशीनों की काउंटिंग
मतगणना के दौरान तकनीकी कारणों से तीन मशीनों की शुरुआत में मतगणना नहीं की जा सकी। किसी मशीन में डिस्प्ले तो किसी मशीन में 17 सी की समस्या आ रही थी। कंट्रोल यूनिट में 17 सी नहीं होने पर वीवीपैट से काउंटिंग की जाती है। 22 राउंड की मतगणना पूरी होने के बाद 52, 75 व 76 नंबर की मशीन में पड़े वोटों की गिनती की जानेवाली थी। भाजपा प्रत्याशी विकास कुंभारे 3741 वोट से जीते आैर इन तीन मशीनों में केवल 1300 वोट पड़े थे। कुल 1 लाख 62 हजार 382 वोट पड़े। पोस्टल बैलेट से 348 वोट पड़े, जिसमें से 90 वोट रिजेक्ट हुए। तीन मशीनों के सारे वोट भी पराजित उम्मीदवार को मिले तो भी कुंभारे की हार नहीं हो सकती, इसलिए इन तीन मशीनों में पड़े वोटों की गिनती नहीं की गई। तीन में से दो मशीने मुस्लिम बहुल इलाके की बुथ की बताई गई। कांग्रेस प्रत्याशी बंटी शेलके ने कहा कि इन मशीनों की वोटिंग करने पर जीत का फासला कम हो सकता है, लेकिन हार जीत में बदलना मुश्किल है।
एमआईएम बनी कांग्रेस किलर
मध्य नागपुर में एमआईएम प्रत्याशी अ. शारीक पटेल जैसे-जैसे वोट लेते गए, वैसे-वैसे कांग्रेस की धड़कनें तेज होती गई। एमआईएम ने 8560 वोट लिए और कांग्रेस महज 3741 वोटों से हार गई। एमआईएम प्रमुख सांसद असदुद्दीन ओवैसी की माेमिनपुरा में सभी हुई। उस सभा को जिसतरह का प्रतिसाद मिली, उसी दिन से माना जा रहा था कि एमआईएम को मध्य नागपुर में कम आंकना गलत हो सकता है। एमआईएम जीतेगी नहीं, यह तो सभी बोल रहे थे लेकिन एमआईएम ने भाजपा के जीतने का रास्ता साफ कर दिया। भाजपा प्रत्याशी फिर एक बार किस्मत के धनी साबित हुए। भाजपा प्रत्याशी विकास कुंभारे पहली बार 9 हजार से ज्यादा वोटों की लीड से जीते थे आैर उस वक्त बसपा के गनी खान ने 24 हजार से ज्यादा वोट लेकर भाजपा के लिए राह आसान कर दी थी।
पुणेकर का बैठना भाजपा के लिए फायदेमंद
कांग्रेस पार्षद रमेश पुणेकर ने टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय तौर पर पर्चा भरा था। पुणेकर ने पर्चा भरते ही भाजपा नेताओं के कान खड़े हो गए थे। केंद्रीय मंत्री ने खुद इसका संज्ञान लिया आैर अपने दूतों के माध्यम से ऐसा खेल खेला कि चुनाव से नहीं हटने का दम भरनेवाले पुणेकर मैदान से हट गए। पुणेकर जिस प्रभाग से जीतकर आते है, वहां भाजपा को जबरदस्त बढ़त मिली। जानकारों की माने तो पुणेकर हलबा समाज के 8 से 10 हजार वोट ले सकते थे आैर उनके बैठने से भाजपा को लाभ मिला है। काउंटिग के दौरान भी भाजपा पदाधिकारी की जुबान पर पुणेकर का नाम आते रहा।
पोस्टल बैलेट से भाजपा 128
पोस्टल बैलेट से कुल 348 वोट पड़े, जिसमें से 90 वोट रिजेक्ट हो गए। भाजपा को 128, कांग्रेस को 116, बसपा-4, एमआईएम-2, वंचित बहुजन आघाडी 4, राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी-1, आैर नोटा को 2 वोट पड़े।
उतार-चढाव भरे मुकाबले में जीते कुंभारे
जिस मध्य नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख डा. मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी व भाजपा के शहर प्रमुख पूर्व महापौर प्रवीण दटके रहते है, उस एरिया में भाजपा को जीत हासिल करने के लिए पसीना बहाना बड़ा। 22 राउंड तक चली मतगणना में कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा आगे रही और उतार-चढ़ाव भरे मुकाबले में अंतत: जीत भाजपा की हुई। भाजपा प्रत्याशी विधायक विकास कुंभारे ने अपनी प्रतिद्वंद्वी कांग्रसे प्रत्याशी बंटी शेलके को 3741 वोटों से पराजित किया। भाजपी की जीत में एमआईएम की अहम भूमिका रही। मध्य नागपुर की काउंटिंग भाजपा व कांग्रेस के पदाधिकारियों की नींद हराम करनेवाली रही। पहले राउंड में कांग्रेस को जहां 4244 वोट मिले, वहीं भाजपा को 2716 वोटों पर संतोष करना पड़ा। पहले ही राउंड में एमआईएम के अ. शारीक पटेल को 1136 वोट मिले आैर तभी से यह चर्चा उठने लगी कि एमआईएम की पतंग जोर-शोर से उड़ सकती है। 16 और 17 राउंड में लगातार बढ़त बनाने पर भाजपा के कुंभारे की बढ़त 9 हजार से ज्यादा हो गई थी और भाजपा को एक बार ऐसा लग रहा था कि अभी केवल 5 राउंड बाकी है यह निर्णायक बढ़त हो गई है। उधर एमआईएम ने 8560 वोट लिए और कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। 20 हजार से जीतने का दावा करनेवाले भाजपा पदाधिकारी जीत मिली, इसी बात से संतुष्ट दिखाई दिए।
कांग्रेस उम्मीदवार उदयसिंह यादव तीसरे स्थान पर है। गोंंदिया में भाजपा ने नया प्रयोग किया था। 2014 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे पार्टी के जिलाध्यक्ष विनोद अग्रवाल को मौका नहीं देते हुए नामांकन प्रक्रिया शुरु होने के 1 दिन पहले कांग्रेस के विधायक गोपाल अग्रवाल का भाजपा में प्रवेश कराया। गोपाल अग्रवाल को भाजपा उम्मीदवार बनाया। लिहाजा विनोद अग्रवाल ने बगावत कर दी। निर्दलीय चुनाव लड़कर उन्होंने भाजपा के गोपाल अग्रवाल को 23 हजार वोटों के अंतर से पछाड़ दिया है। तुमसर से विधायक चरण वाघमारे ने टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से बगावत कर दी। निर्दलीय मैदान में रहे। उनका मुकाबला राकांपा के राजू कारामोरे से हुआ। वाघमारे 10 हजार से अधिक वोटों के अंतर से आगे है। भाजपा उम्मीदवार काफी पिछड़ गए हैं। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित भंडारा सीट पर निर्दलीय नरेंद्र भोंडेकर ने बाजी मार ली है।