500 करोड़ की लागत से बना मॉडल रेलवे स्टेशन आखिर किस काम का
उठा सवाल 500 करोड़ की लागत से बना मॉडल रेलवे स्टेशन आखिर किस काम का
डिजिटल डेस्क, अमरावती। मॉडल रेलवे स्टेशन जिस तरह से विकसित किया गया है। वह वाकई में काबिल ए तारीफ है। लेकिन सवाल यह उठता है कि अमरावती जैसे छोटे शहर में बडनेरा रेलवे स्टेशन, अमरावती रेलवे स्टेशन व अकोली रेलवे स्टेशन जैसे तीन रेलवे स्टेशन की क्या सच में जरूरत थी? इस संदर्भ में अभियंता राजीव भेले ने अपनी बेबाक राय रखते हुए कहा कि विजन (दूरदृष्टि) के अभाव में शासन व प्रशासन रेलवे स्टेशन से लेकर सही फैसला नहीं ले पाया है। जिस वजह से अमरावती मॉडल स्टेशन पर किया गया 500 करोड़ रुपए खर्च फिजूल मालूम पड़ता है। अभियंता भेले ने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर अमरावती तक रोजाना कितने ट्रेने आना-जाना करती है। मुश्किल से 6-7 ट्रेने चलती होंगी। अमरावती की बजाय अगर समय रहते बडनेरा रेलवे स्टेशन को ही विकसित किया गया होता तो आज अमरावती रेलवे स्टेशन गले की हड्डी नहीं बना होता। अकेले अमरावती रेलवे स्टेशन की वजह से राजापेठ उड़ानपुल का निर्माण पिछले पांच वर्ष से चल रहा है। जिस वजह से यहां के व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया है। उड़ानपुल पर करीब 100 करोड़ रुपए का खर्च किया जा रहा है। गोपाल नगर में भी रेल मार्ग पर 25 करोड़ रुपए की लागत का उड़ानपुल बनाने की योजना है। उधर नरखेड़ लाइन पर 50 करोड़ की लागत का उड़ानपुल बनाया गया है। अकेले अमरावती रेलवे स्टेशन के लिए इतना बड़ा खर्च उठाया गया है। वास्तविक रूप में अमरावती जैसे छोटे शहर में तीन रेलवे स्टेशन हो गए हैं। दूसरी बात यह है कि देश में अमरावती से अधिक बडनेरा जंक्शन का नाम जाना जाता है। किंतु विकास के नाम पर अब तक बडनेरा रेलवे स्टेशन को अमरावती के मुकाबले वंचित रखा गया है। शासन व प्रशासन की ओर से आने वाले समय का विजन रखकर काम नहीं किया गया है। जिसका असर यह रहा कि रेल लाइन की वजह से शहर दो हिस्सों में बट गया है। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।