प्रोजेक्ट बचपन : कुपोषण से मुक्ति के लिए

सतना प्रोजेक्ट बचपन : कुपोषण से मुक्ति के लिए

Bhaskar Hindi
Update: 2022-04-27 11:09 GMT
प्रोजेक्ट बचपन : कुपोषण से मुक्ति के लिए

   डिजिटल डेस्क, सतना। जिले की मझगवां जनपद पंचायत के पहाड़ी क्षेत्रों के आदिवासी बाहुल्य २८ पंचायतों के ७० गांवों को प्रोजेक्ट बचपन में शामिल किया गया है। इन गांवों को कुपोषण के कलंक से मुक्त कराने के लिए जिला प्रशासन अब प्रत्यक्षत:  स्वयंसेवी संगठनों और समासेवियों की मदद करेगा। मंगलवार को मझगवां में कलेक्टर अनुराग वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित पोषण प्रबंधन की रणनीतिक बैठक में यह  निर्णय लिया गया। लक्ष्य तय किया गया कि कुपोषित बच्चों को ६ माह में सामान्य श्रेणी में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।  
जागरुकता की कमी :- 
बैठक में कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि कुषोषण के विरुद्ध लड़ाई में संसाधनोंकी कमी नहीं है,आवश्यकता ज्यादा से ज्यादा जागरुकता की है। एसडीएम पीएस त्रिपाठी ने बताया कि इस अभियान को प्रभावी बनाने में २८ पंचायतों के प्रधान लीडरशिप देंगे।  कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. राजेश सिंह नेगी ने बताया कि कोलेस्ट्रम से कुपोषण दूर होता है। कई न्यूट्रीशन आसपास हैं,पर जानकारी के अभाव में उनका उपयोग नहीं हो पाता। बैठक में जिला पंचायत के सीईओ डा. परीक्षित राव ने भी अपने विचार रखे। तहसीलदार नितिन झोंड़, जनपद सीईओ सुलभ सिंह और बीएमओ डा. तरुणेन्द्र  मिश्रा भी उपस्थित थे।  
संस्थागत प्रसव जरुरी :--
 डा. नेगी ने कहा कि   संस्थागत प्रसव नहीं होने पर कुपोषण के खतरे 300 फीसदी बढ़ जाते हैं।  इसलिए यह सुनिश्चित करें कि एक भी बच्चा घर में पैदा नहीं हो। हर हाल में संस्थागत प्रसव के प्रति प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जिला कार्यक्रम अधिकारी सौरभ सिंह ने बताया कि  प्रोजेक्ट बचपन के लिए चिन्हित  २८ पंचायतों के ७० गांव आदिवासी बहुल्य गांवों की आबादी   57 हजार 983 है। इनमें 5535 सामान्य श्रेणी, 1811 बच्चे मध्यम पोषण स्तर और 415 बच्चे गंभीर कुपोषण की श्रेणी में हैं। परियोजना नंबर- १  चित्रकूट में 7 सेक्टरों में शून्य से 5 वर्ष के 16 हजार 319 बच्चे हैं। जिनमें 16 हजार 22 बच्चों का वजन कर न्यूट्रीशन स्टेटस नापा गया है।

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