भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में प्रस्तावित सर्वे को पीसीसीएफ की हरी झंडी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अब गौरवशाली इतिहास भी होगा संरक्षित भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में प्रस्तावित सर्वे को पीसीसीएफ की हरी झंडी
डिजिटल डेस्क, शहडोल। बाघों की बाहुल्यता और सर्वाधिक ब्रीडिंग के लिए दुनियाभर में विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की गौरवशाली इतिहास अब संरक्षित होगी। बांधवगढ़ में किला, मंदिर और पुराने अभिलेखों को संरक्षित करने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआइ) द्वारा मांगी गई सर्वे की अनुमति को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) की ओर से हरी झंडी मिल गई है। एएसआइ जल्द ही सर्वे प्रारंभ करेगी। सर्वे में सबसे पहले डाक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया चलेगी। एएसआइ के सर्वे के बाद एक साइंटिफिक डाटा तैयार हो जाएगा। यह भी पता चलेगा कि हजारों साल पहले का निर्माण फिलहाल किस स्थिति में है।
बांधवगढ़ को लेकर प्रचलित गाथाएं-
- भगवान राम ने लक्ष्मण को किला उपहार में दिया और बांधव यानी भाई के बीच के प्रगाढ़ रिश्ते का उदाहरण देने नाम पड़ा बांधवगढ़
- गोड़ राजाओं के 52 किलों मे से एक, पाषाण काल से मध्यकाल का गौरवशाली इतिहास, कल्चुरी काल में निर्माण के अवशेष
- महाराजा अकबर के समकालीन महाराजा रामचंद्र ने हुमायूं की बेगम को शेरशाह सूरी के द्वारा किए गए हमले के समय पनाह दी, उपकृत अकबर ने बांधवगढ़ किले के नाम पर चांदी का सिक्का जारी किया
- बांधवगढ़ पहाड़ के आसपास 32 छोटी बड़ी पहाडिय़ां, भगवान विष्णु जी की शेषशैय्या में लेटे हुए मूर्ति आकर्षण का केंद्र
इस बारे में भारतीय पुरातत्व विभाग मंडल कार्यालय जबलपुर के डॉ.शिवाकांत वाजपेयी बताते हैं, कि बांधवगढ़ में सर्वे के दौरान वन विभाग के नियमों के अधीन काम किया जाएगा। हमारी कोशिश होगी कि टाइगर भी सुरक्षित रहें और इतिहास भी सुरक्षित हो।
वहीं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ.बीएस अन्नागिरी का कहना है कि एएसआइ के सर्वे को पीसीसीएफ ने अनुमति दे दी है। इससे एक साइंटिफिक डाटा तैयार होगा। बांधवगढ़ का इतिहास जानने में मदद मिलेगी।