मूंग-उड़द में 18 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी, उधार के भरोसे किसानों का त्यौहार

केन्द्रों में उपज पहुंचाने के बाद असमंजस की स्थिति से अन्नदाता मूंग-उड़द में 18 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी, उधार के भरोसे किसानों का त्यौहार

Bhaskar Hindi
Update: 2021-08-19 18:38 GMT
मूंग-उड़द में 18 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी, उधार के भरोसे किसानों का त्यौहार

डिजिटल डेस्क कटनी। ग्रीष्म कालीन मंूग-उड़द खरीदी में किसानों की फजीहत कम नहीं हो रही है। त्यौहार सिर पर है और 18 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी है। उपज बेचने के बाद किसान भुगतान लेने के लिए बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं। वहां पर अधिकारियों का रटा-रटाया जवाब होता है कि यह राशि भोपाल से ही नहीं मिली है। किसानों का कहना है कि वे दो पाट में फंसे हुए हैं। यदि पहले उन्हें पता चलता कि भुगतान में इस तरह से अड़ंगा लगेगा तो वे फिर बाजार में ही उपज बेच लेते। जिससे वे त्यौहार तो ठीक तरह से मनाते। इधर खरीदी के लिए कम समय बचने से भी अन्नदाता परेशान हैं। बुधवार तक 11 हजार 218 दर्ज किसानों में से 2772 अन्नदाता 29 हजार 550 क्विंटल उपज बेच चुके हैं। 20 करोड़ 87 लाख रुपये में से अभी तक 2 करोड़ 38 लाख रुपये का ही भुगतान हुआ है।
हर केन्द्रों में पहुंचे अन्नदाता-
शासन के वादे पर जिले के पांच केन्द्रों में किसान पहुंच चुके हैं। विपणन सहकारी संस्था कटनी की खरीदी हिन्द एनर्जी वेयर हाउस में की जा रही है। यहां पर 500 किसान मूंग और 161 किसान उड़द बेच चुके हैं। इसी तरह से पचपेढ़ी उमरियापान में कुल 426, बहोरीबंद खरीदी केन्द्र में 758, स्लीमनाबाद खरीदी केन्द्र में 417 और लखाखेरा वेयर हाउस में 510 किसान उपज बेच चुके हैं।
एक माह बाद भी नहीं आया मैसेज-
स्लीमनाबाद में तकनीकी खराबी के चलते 65 किसान बीच मझधार में फंसे हुए हैं। केन्द्र में उपज की तौल कराने के बाद एक माह से दोबारा मैसेज आने के चक्कर में बार-बार मोबाइल देखते हैं। दरअसल पिछले माह 20 से 27 जुलाई के
बीच सर्वर में समस्या के कारण पोर्टल में बेची गई उपज की इंट्री नहीं हो
सकी। मैसेज आने पर किसान अपनी उपज यहां पर लाकर तौल करा चुके हैं, लेकिन भुगतान को लेकर असमंजस की स्थिति बनी है। जब तक किसानों को दोबारा मैसेज नहीं मिलेगा, तब तक पोर्टल में उनके उपज की इंट्री नहीं हो पाएगी। इस संबंध में भी अधिकारियों का एक ही जवाब है कि मैसेज भोपाल स्तर से ही किसानों को मिलते हैं।
खरीफ में लगा चुके हैं जमा-पूंजी-
किसानों का कहना है कि उनके पास जो जमा-पूंजी रही है। वे खरीफ फसलों में लगा चुके हैं। आलम यह है कि मंूग-उड़द की राशि नहीं मिलने से अब उधार से ही काम चलाना पड़ रहा है। स्लीमनाबाद क्षेत्र के किसान रामकिशोर, जितेन्द्र, विनय और अन्य लोगों का कहना है कि उन्हें यह पता नहीं रहा कि उपज को खरीदी  केन्द्र तक पहुंचाने के बाद भी भुगतान के लिए इस तरह से परेशान होना पड़ेगा।  खरीदी में तीन से चार विभाग के अधिकारी लगे हुए हैं। इसके बावजूद  वे किसानों की समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे हैं। हर किसान भोपाल संपर्क नहीं कर सकता।
इनका कहना है-
मूंग-उड़द का भुगतान भोपाल स्तर से ही लंबित है। इस संबंध में लगातार पत्राचार किया जा रहा है। जिससे किसानों को समय पर भुगतान हो सके। दोबारा मैसेज को लेकर भी अधिकारियों से बात की गई है। किसानों की समस्या को लेकर पूरा प्रशासन ही गंभीर है।
- श्रीमति शिखा वर्मा, प्रबंधक विपणन संघ कटनी

 

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