कोई जांच न पड़ताल, डब्ल्यूआरडी की जमीन पर स्वीकृत कर दिए ५६ प्रधानमंत्री आवास
शहडोल कोई जांच न पड़ताल, डब्ल्यूआरडी की जमीन पर स्वीकृत कर दिए ५६ प्रधानमंत्री आवास
डिजिटल डेस्क, शहडोल । जिले के नगर परिषद खांड़ में पीएम आवास निर्माण में बड़ी गड़बड़ी सामने आई हैं। निकाय के अधिकारियों ने जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) की जमीन पर पीएम आवास स्वीकृत कर दिए गए। यह गड़बड़ी एक या दो आवासों में नहीं हुई है, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में ५० से अधिक आवासों का निर्माण यहां हो चुका है। विभाग के अधिकारियों ने इसकी शिकायत कलेक्टर सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से की है।
कलेक्टर वंदना वैद्य ने सोमवार को एसडीएम ब्यौहारी से पूरे मामले की जांच करने और जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं। नियमानुसार पीएम आवास के आवेदन के साथ हितग्राही से जमीन के दस्तावेज भी लिए जाते हैं और नगरीय निकाय और राजस्व अधिकारियों द्वारा उसका मौका मुआयना कर जांच की जाती है। इसके बाद आवास स्वीकृत किए जाते हैं, लेकिन खाड़ नगर परिषद में ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक-एक करके करीब पांच दर्जन हितग्राहियों को डब्ल्यूआरडी की जमीन पर आवास स्वीकृत कर दिए गए। डब्ल्यूआरडीसी के अधिकारियों ने ५६ हितग्राहियों की सूची के साथ शिकायत दर्ज कराई है। इसकी शिकायत भोपाल स्तर पर भी की गई है।
मांगने पर भी उपलब्ध नहीं कराए दस्तावेज
बताया जाता है कि ये सभी आवास करीब दो वर्ष पहले स्वीकृत हुए थे। इनमें से अधिकांश को सभी किश्त भी जारी कर दी गई हैं और आवास पूर्ण भी हो चुके हैं। डब्ल्यूआरडीसी के अधिकारियों का कहना है कि नगरीय निकाय से कई बार आवेदकों के दस्तावेज मांगे गए कि आखिर पीएम आवास के आवेदन के समय उन्होंने जमीन संबंधी कौन से दस्तावेज लगवाए थे, लेकिन निकाय के अधिकारियों ने कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। जहां पर आवास बने हैं, वह पूरी भूमि बाणसागर परियोजना के नाम से अधिसूचित है। अब कलेक्टर इसकी जांच करवा रही हैं। अभी यह मामला और भी गर्माएगा, क्योंंकि अप्रैल माह में समाधान ऑनलाइन का मुख्य मुद्दा पीएम आवास ही है। अप्रैल में होने वाली समाधान ऑनलाइन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पीएम आवास को लेकर ही समीक्षा करेंगे। अधिकारियों की कोशिश इससे पहले मामले के निराकरण करने की है। हालांकि अभी कोई भी अधिकारी इस संबंध में खुलकर कुछ नहीं बता रहा है। पीओ डूडा अमित तिवारी से से जब इस संबंध में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने किसी तरह की जानकारी होने ही इनकार कर दिया। वहीं एसडीएम ब्यौहारी ज्योति परस्ते भी गोलमोल जवाब दे रही हैं।
तीन बार कराई जाती है जियो टैगिंग
नगरीय क्षेत्र में पीएम आवास के लिए ढाई लाख रुपए की राशि जारी की जाती है। आवेदन स्वीकृत होने के बाद तीन किश्तों पहली किश्त एक लाख, दूसरी किश्त एक लाख और तीसरी किश्त ५० हजार रुपए जारी किए जाते हैं। वहीं हर किश्त जारी किए जाने के पहले जमीन की जियो टैगिंग कराई जाती है। पहली बार जियो टैङ्क्षगग कर यह देखा जाता है कि भूमि में किसी तरह का निर्माण नहीं हुआ है। पहली किश्त जारी होने के बाद फिर से हितग्राही आवेदन करता है और बताता है कि पहली किश्त से उसे निर्माण शुरू करा दिया है। नगरीय निकाय अमला जांच कर फिर जियो टैगिंग करता है। यही प्रक्रिया तीसरी किश्त से पहले भी अपनाई जाती है।
डब्ल्यूआरडी की १७३ हेक्टेयर जमीन
बाणसागर परियोजना के राजेंद्र सिंह कंवर ने बताया कि खाड़, बकेली, कछार, चचाई आदि स्थानों में डब्ल्यूआरडी की १७३ हेक्टेयर जमीन है। ये सभी आवास खाड़ में डब्ल्यूआरडी की जमीन पर बने हैं। उन्होंने बताया कि ५६ हितग्राहियों की सूची के साथ इसकी शिकायत दर्ज कराई गई है। हो सकता है और भी आवास नगर परिषद ने यहां स्वीकृत किए हों। यह सूची दो वर्ष पहले बनी थी। इस संबंध में हाल में कलेक्टर से भी शिकायत की गई है। वहीं विभागीय अधिकारियों को भी पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि बिना किसी जानकारी दिए ही ये सभी आवास स्वीकृत कराए गए हैं। निकाय के अधिकारियों ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया।
इनका कहना है
आज ही यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। इस बारे में जांच करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। जांच करने के बाद ही कुछ कहने की स्थिति में रहूंगी। कलेक्टर से जांच के संबंध में मेरे पास कोई आदेश नहीं आया है।
ज्योति परस्ते, एसडीएम ब्यौहारी