मेट्रो ने महावितरण को दिए 1.61 करोड़ के 40 झटके
मेट्रो ने महावितरण को दिए 1.61 करोड़ के 40 झटके
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में चारों ओर महामेट्रो का कार्य चल रहा है। एक फेज में मेट्रो शुरू भी हो चुकी है और अब दूसरे फेज में भी जल्द शुरू होने वाली है। महामेट्रो के इस निर्माण कार्य के कारण शहरवासियों ने कई समस्याओं से समझौता किया है। कई जगह रोड खुदे, रास्ते बंद हुए। सबसे बड़ी परेशानी खुदाई के चलते हुई। अंडरग्राउंड बिजली की केबल अनेक स्थानों पर क्षतिग्रस्त हुई। लाेगों काे अंधेरे में रहना पड़ा। पिछले एक साल में मेट्रो के कार्य के कारण एसएनडीएल बिजली वितरण कंपनी को 1 करोड़ 61 लाख का नुकसान हुआ है।
केबल पर सीधी चोट
महामेट्रो के कार्य के कारण कई जगह पर अंडरग्राउंड केबल और फीडर को नुकसान हुआ। मेट्रो को जब इसे ठीक करने के लिए कहा गया तो उसने इसे ज्वाइंट लगा कर ठीक किया।
सिविल लाइन्स में सबसे ज्यादा क्षति
एसएनडीएल द्वारा दिए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 15 जून 2017 से 6 मई 2019 तक 40 जगहों पर केबल क्षतिग्रस्त हुए, जिसमें एसएनडीएल को 1 करोड़ 61 लाख 66 हजार 826 रुपए का नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान सिविल लाइन्स जोन में हुआ है।
परेशान करने वाली बात
बता दें कि एक यूनिट बिजली पैदा करने में 500 ग्राम कोयला और 7.5 लीटर पानी खर्च होता है। साथ ही इस प्रक्रिया में 1000 ग्राम कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। दिए गए आंकड़ों के अनुसार 1 लाख 31 हजार 385 यूनिट बिजली का नुकसान हुआ है, जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से 65 हजार 692 किलो कोयला और 9 लाख 85 हजार 387 लीटर पानी का नुकसान किया है। इसके साथ ही एक यूनिट बिजली बनाते समय 1 किलो कार्बनडाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो कि बहुत हानिकारक है।
अस्थायी कार्य छोड़ दिया गया
एसएनडीएल ने कई बार महामेट्रो को पत्र लिखे और रिमाइंडर भी भेजे गए। बार-बार क्षतिग्रस्त हुई केबल को बदलने को कहा गया। एक पूरी केबल 120 से 200 मीटर की होती है, जो कि एक बार में बिछाई जाती है। इसे बिछाने में जहां पर 3 से 3.5 लाख का खर्चा आता है, वहीं मेट्रो ने 35-40 हजार में अस्थाई समाधान कर दिया। इस विषय पर कंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने भी महामेट्रो काे कहा था कि कहीं पर भी खुदाई या कार्य करने से पहले एक बार ओसीडब्ल्यू, एसएनडीएल और महावितरण को जानकारी दें, जिससे वह बता सकेंगे कि कहां पर पाइप लाइन और बिजली केबल है, लेकिन इस पर कोई गंभीरता नहीं बरती गई।
केवल आश्वासन मिलता रहा
जितनी बार भी केबल डैमेज हुई, वहां पर केवल ज्वाइंट लगा दिए गए हैं। बारिश के दौरान ज्वाइंट के संपर्क में पानी के आ जाने से बड़ी समस्या हो सकती है। उस ज्वाइंट को ढूंढ कर ठीक करने में 8 से 9 घंटे लगते हैं। हमने कई बार मेट्रो को इस विषय पर पत्र लिखे, रिमाइंडर भी भेजे, लेकिन वहां से केवल आश्वासन मिला।
दीपांशु खिरवड़कर, जनसंपर्क अधिकारी, एसएनडीएल