मरीजों की जान बचाने वाला मुरली हार गया जिन्दगी की जंग

रीवा मरीजों की जान बचाने वाला मुरली हार गया जिन्दगी की जंग

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-25 09:59 GMT
मरीजों की जान बचाने वाला मुरली हार गया जिन्दगी की जंग

डिजिटल डेस्क,रीवा। मरीजों की जान बचाने वाला एक जूनियर डॉक्टर खुद जिन्दगी की जंग हार गया। सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के यूरोलॉजी विभाग में ड्यूटी करने वाले जेआर डॉ. मुरली प्रसाद साकेत की जान बचाने के लिए पूरा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल जुटा रहा। इलाज में आर्थिक संकट न आने पाए इसके लिए साथियों के साथ ही वरिष्ठ चिकित्सकों ने आपस में राशि एकत्रित की। गुरूवार की शाम दिल्ली ले जाने के लिए रीवा एयर एम्बुलेंस भी पहुंच गई। लेकिन उड़ान भरने से पहले ही उसकी सांस टूट गई।

२०१४ बैच का छात्र

डॉ. मुरली श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय के २०१४ बैच का छात्र था। वह मूलत: रीवा जिले का था। इनके पिता विश्वनाथ साकेत कोल माइंस में है। अनूपपुर जिले के कोतमा कालरी से पिता सहित परिवार के अन्य सदस्य मुरली की बीमारी की जानकारी मिलते ही रीवा आ गए थे।

दो दिन में बिगड़ी हालत

डॉ. मुरली की हालत दो दिन में बिगड़ी। बताते हैं कि दो दिन पूर्व तक उन्होंने ड्यूटी की। गर्दन में दर्द होने पर एमआरआई कराई, लेकिन रिपोर्ट सामान्य रही। इसके बाद सांस लेने में तकलीफ हुई और भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। लेकिन हालत बिगड़ती गई। उन्हें वेंटीलेटर पर रखना पड़ा।

जान बचाने के लिए पूरा प्रयास

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हृदयेश दीक्षित ने कहा कि अपने साथी की जान बचाने के लिए सभी ने पूरा प्रयास किया। तन, मन और धन से सभी जुटे हुए थे। लेकिन वह इस दुनिया को छोड़ गया। किसी ने सपने में भी नहीं सेांचा था कि वह इतनी जल्दी साथ छोड़ जाएगा।

ब्रेन और लंग्स में हो गया था इंफेक्शन

मेडिसीन विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज इंदुलकर ने बताया कि डॉ. मुरली के ब्रेन  और लंग्स में इंफेक्शन हो गया था। हालत बिगडऩे पर वेंटीलेटर पर रखा गया। लेकिन हालत में सुधार न होने पर दिल्ली भेजने का निर्णय लिया गया।
 

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