रीवा: 63 करोड़ के फ्रॉड मामले में ईडी की रेड

  • रीवा पुलिस ने रेड और गिरफ्तारी की पुष्टि से इंकार किया है।
  • रीवा से टीकमगढ़ के कांग्रेस विधायक का साला गिरफ्तार
  • सूत्रों ने बताया कि लोकेशन सर्विलांस की जरिए ट्रैक की गई।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-25 12:33 GMT

डिजिटल डेस्क,रीवा/टीकमगढ़। असम में तकरीबन 63 करोड़ की एक साल पुरानी धोखाधड़ी के मामले में बुधवार को ईडी की दो अलग-अलग टीमों ने रीवा और टीकमगढ़ में छापे मारे। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में रीवा के रेत कारोबारी और टीकमगढ़ के मौजूदा विधायक यादवेंद्र सिंह बुंदेला के साले दिलीप सिंह बघेल और उनका भांजा शाश्वत सिंह लंबे अर्से से फरार चल रहे थे।

मार्निंग वॉक पर निकले प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सुबह साढ़े 5 बजे के करीब 6 गाडिय़ों में आए ईडी के अफसरों ने अमहिया थाना अंतर्गत खुटेही स्थित दिलीप सिंह बघेल के घर पर दबिश दी। इससे पहले साथ में आए सीआरपीएफ के जवानों ने घर को चौतरफा घेर लिया।

खबर है कि दिलीप को गिरफ्तार कर ईडी अपने साथ ले गई। रीवा पुलिस ने रेड और गिरफ्तारी की पुष्टि से इंकार किया है। मगर सूत्रों ने बताया कि लोकेशन सर्विलांस की जरिए ट्रैक की गई। पिछले साल असम पुलिस ने भी रीवा में गिरफ्तारी की कोशिश की थी लेकिन तब सफलता नहीं मिली थी।

टीकमगढ़ में भी दबिश,मगर मिले नहीं विधायक पुत्र

उधर, बुधवार की सुबह लगभग 7 बजे ईडी की 5 सदस्यीय टीम सीआरपीएफ के जवानों साथ टीकमगढ़ में कांग्रेस विधायक एवं पूर्व आबकारी मंत्री यादवेंद्र सिंह बुंदेला के ताल दरवाजा क्षेत्र स्थित निवास पर पहुंची। घर पर विधायक अकेले थे। ईडी के अफसरों ने उनसे 4 घंटे तक पूछताछ की।

अंतत: ईडी खाली हाथ लौट गई। देहात थाना प्रभारी रवि गुप्ता ने बताया कि विधायक निवास के सामने जमा हो रही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए वह बल के साथ मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने सीआरपीएफ के साथ ईडी के मौजूद होने की पुष्टि की।

विधानसभा चुनाव के पूर्व 19 अक्टूबर को असम पुलिस ने यादवेंद्र सिंह के निवास पर दबिश दी थी। तब पुलिस ने उनके बेटे शाश्वत सिंह बुंदेला से बंद कमरे में 4 घंटे तक पूछताछ की थी। मोबाइल, पेन कार्ड और आधार कार्ड जब्त किए थे। तब छानबीन में कैश और संदिग्ध दस्तावेज भी नहीं मिले थे।

क्या हैं आरोप

दिल्ली की सबरवाल ट्रेडिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा वर्ष 2022 में दर्ज काई गई शिकायत में आरोप थे कि आरोपियों ने नया काउंसिल फार्म बनाकर माल सप्लाई का टेंडर बुलाया था। जिसका कॉन्ट्रेक्ट उनकी कंपनी को मिला था। असम के लिए करीब 63 करोड़ रुपए के माल की सप्लाई की गई,लेकिन माल का भुगतान आज तक नहीं मिला।

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