विश्व की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षक निर्माण करेंः प्रो. सी.सी. त्रिपाठी
शिक्षक निर्माण विश्व की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षक निर्माण करेंः प्रो. सी.सी. त्रिपाठी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। एनआईटीटीटीआर, भोपाल में निदेशक प्रो. सी.सी. त्रिपाठी ने संस्थान द्वारा किये जा रहे कार्यो की समीक्षा की। निदेशक महोदय ने तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में किये गये कार्यो एवं भविष्य में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि संस्थान में कार्यरत हर व्यक्ति महत्वपूर्ण एवं अद्वितीय है एवं अपने-अपने उत्तदायित्वों का निर्वहन कर रहा है। संस्थान विकास हेतु हम सभी को रचनात्मक एवं सकारात्मक भूमिका निभाते हुए नये उत्तदायित्व हेतु पहल करनी चाहिए।
उन्होंने संस्थान के प्रत्येक विभाग को शिक्षण में नवाचार एवं शोध कार्य करने को प्रेरित किया, साथ ही शोध, शिक्षण एवं प्रशिक्षण को समाज के लिए उपयोगी कैसे बनायें, नवीन प्रौद्योगिकी एवं भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं को शिक्षकों के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुंचाना, स्टार्टअप, उद्यमिता हेतु सहयोग आदि विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम ग्लोबल की बात जरूर करें लेकिन लोकल को ना भूले।
प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि आज हमें 21वीं सदी के लिए विश्व की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षक निर्माण का कार्य करना है। समय के साथ-साथ शिक्षकों की भूमिका में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। प्रौद्योगिकी के नवीन क्षेत्र, सहयोगी एवं अनुभवात्मक ज्ञान, संगठानात्मक व्यवहार एवं बहुविषयक शिक्षा आदि क्षेत्रों में कार्य करना समय की मांग है। हम इस दिशा में शीघ्र पहल करने जा रहे है। संस्थान द्वारा इंडस्ट्री 4.0 और डिजिटलीकरण के क्षेत्र में उच्च कौषल प्रषिक्षण, औद्योगिक परामर्ष और अनुसंधान कार्य प्रदान करने के लिए स्थापित उत्कृष्टता केन्द्र एवं टीचिंग लर्निंग सेन्टर द्वारा संयुक्त रूप से शिक्षण सहायता सामग्री का विकास करेंगे एवं उसके बौद्धिक संपदा अधिकार को संरक्षित कर उसके व्यवसायिकरण में सहायता प्रदान करेंगे।
हमें उद्योग जगत के साथ एक मजबूत सांझेदारी करते हुए उनके अनुभवों को अपने शिक्षक एवं विद्यार्थियों तक पहुंचाने का कार्य करना होगा। देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ठ कार्य कर रहे विशेषज्ञों के व्याख्यान आयोजित कर उन्हें रिकॉर्ड करें। प्रो. त्रिपाठी ने निटर, भोपाल द्वारा तकनीकी शिक्षकों हेतु बनाये गये मूक कार्यक्रमों की भी सराहना की। प्रो. त्रिपाठी ने संस्थान द्वारा बनाये गये शिक्षण एवं सीखने के सभी संसाधनों को मातृभाषा हिन्दी में अनुवाद किये जाने का सुझाव दिया।