55 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए लाउडस्पीकर की आवाज

नियम 55 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए लाउडस्पीकर की आवाज

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-02 14:26 GMT
55 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए लाउडस्पीकर की आवाज

डिजिटल डेस्क, भंडारा। सर्वोच्च न्यायालय के नियम के अनुसार रात्रि 10 से सुबह 6 बजे तक किसे भी लाउडस्पीकर बजाने या ध्वनि प्रदूषण फैलाने की अनुमति नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में चार स्तरों पर ध्वति की सीमा तय करके दी है। 55 डेसिबल से अधिक की आवाज रहने पर एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसलिए सभी धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि पुलिस प्रशासन से अनुमति लेकर ही लाउड स्पीकर लगाने व आने वाले त्योहारों को शाति पूर्ण तरीके से मनाने का आह्वान जिला पुलिस अधीक्षक वसंत जाधव ने शांति समिति की सभा में किया। शनिवार 30 अप्रैल की सुबह 10 बजे जिला पुलिस मुख्यालय के बैठक हॉल में शांति समिति की सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में बतौर अध्यक्ष जिलाधिकारी सदीप कदम, अपर पुलिस अधीक्षक अनिकेत भारती, भंडारा के उपविभागीय अधिकारी रवींद्र राठोड, तुमसर के उपविभागीय अधिकारी वैष्णवी बी उपस्थित थे। इसी तरह सभा में शांति समिति के संपूर्ण जिले के प्रतिनिधि व पुलिस दल के अधिकारी तथा कर्मचारी उपस्थित थे। जिला पुलिस अधीक्षक वसंत जाधव ने जानकारी देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने औद्योगिक, व्यापारी, निवासी व शांत क्षेत्र ऐसे चार स्तर तैयार कर ध्वनि प्रदूषण के नियम जारी किए हैं। इन नियमों का पालना करना सभी का कर्तव्य है। धार्मिक संस्थाओं को इन नियमों को जानने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की स्थानीय भाषा में प्रति उपलब्ध कराई गई। 

साथ ही जिले के प्रत्येक पुलिस थानों में यह प्रति जानकारी के लिए उपलब्ध की गई है। जिला पुलिस अधीक्षक जाधव ने कहा कि जिले में धार्मिक विवाद नहीं है। शांति-व कानून व्यवस्था के लिए जिले की पहचान है। यह पहचान आगे भी बनाए रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति ने सामाजिक दायित्व निभाना जरूरी है। जाधव ने कहा कि जिला पुलिस ने सोशल मीडिया का उपयोग करते समय कोई संदेश फार्रवर्ड करने से पहले सोच विचार करे। किसी की भावना आहत न हो इस पर ध्यान दें।

शांति बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी

संदीप कदम, जिलाधिकारी के मुताबिक त्योहारों का उत्साह सभी में होता है। त्योहार नाते समय कानून व्यवस्था न बिगड़े इसके लिए शांति समितियां तैयार की गई। शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी शासन प्रशासन की न होकर समाज के प्रत्येक नागरिक की है। जिले में किसी भी धर्म का त्योहार शांति के साथ मनाया जाता है। इसका श्रेय भी जिले के नागरिकों को जाता है। 

 

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