शरद पवार को अजित के शपथ लेने की पहले ही मिल गई थी जानकारी
आत्मकथा में खुलासा शरद पवार को अजित के शपथ लेने की पहले ही मिल गई थी जानकारी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार की आत्मकथा "लोक माझे सांगाती' का विमोचन मंगलवार को यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में किया गया। पवार ने अपनी इस किताब में कई खुलासे किए हैं। पवार ने किताब में 23 नवंबर 2019 की उस घटना का जिक्र किया है जिसमें राकांपा नेता अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने सवेरे सवेरे शपथ लेकर सरकार बना ली थी। पवार ने किताब में सुबह के शपथ ग्रहण के बारे में जिक्र करते हुए लिखा है कि अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के शपथ लेने की जानकारी मुझे पहले ही लग गई थी। उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने का सुझाव मैंने ही कांग्रेस और राकांपा के नेताओं को दिया था।
अजित की शपथ के लिए राकांपा की नहीं थी सहमति- पवार
पवार ने अपनी किताब में दावा किया है कि 23 नवंबर 2019 की सुबह करीब साढ़े छ बजे उनके घर पर फोन आया कि अजित पवार कुछ राकांपा विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे हैं और देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ लेने वाले हैं। पवार ने बगैर देरी किए इस बात की जानकारी शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे को दी। इससे पहले कुछ समझ में आता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। इसके बाद पवार ने उद्धव ठाकरे को फोन कर कहा कि अजित पवार ने जो कुछ किया है उसमें राकांपा की कोई सहमति नहीं है। बाद में उन्होंने उद्धव ठाकरे के साथ यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी पार्टी का रुख साफ किया था।
आघाडी में खींचतान के चलते अजित ने लिया फैसला- पवार
पवार ने किताब में आगे लिखा है कि जब अजित के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मुझे समझ आया कि अजित ने यह फैसला आघाडी में चल रही खींचतान के चलते लिया है। उन्होंने किताब में आगे लिखा है अजित के इस फैसले से उनकी पत्नी प्रतिभा पवार भी खुश नहीं थीं। पवार ने बताया कि जो 10 राकांपा विधायक अजित के साथ राजभवन गए थे उन्हें भी गलत जानकारी दी गई थी। इसके लिए मेरा कोई समर्थन नहीं था और इसी बात को बताने के लिए मैंने उद्धव को फोन किया था।
शिवसेना की मुस्लिम विरोधी छवि में हुआ काफी सुधार- पवार
पवार किताब में लिखते हैं कि अजित पवार द्वारा सवेरे सवेरे वाले शपथ ग्रहण से आघाडी को और मजबूती मिली। शिवसेना को इससे सहानुभूति भी मिली और उद्धव का विश्वास भी आघाडी में और पक्का हो गया। पवार ने कहा कि मेरा मानना था कि अगर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे तो सरकार मजबूती से चलेगी। ऐसा मत कांग्रेस और राकांपा के विधायकों का भी था। पवार ने किताब में आगे लिखा है कि महाविकास आघाडी बनाते समय कुछ लोगों को इस बात का डर था कि शिवसेना का कट्टर हिंदुत्ववादी चेहरा इसके आड़े आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पवार का मानना है कि शिवसेना ने पिछले कुछ समय में अपनी मुस्लिम विरोधी छवि में काफी सुधार किया है।