वाहन की दिशा बदलकर दूसरे से बेहोश हुआ तेंदुआ

रेस्क्यू में लगा तीन घंटें से अधिक का समय वाहन की दिशा बदलकर दूसरे से बेहोश हुआ तेंदुआ

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-07 11:12 GMT
वाहन की दिशा बदलकर दूसरे से बेहोश हुआ तेंदुआ

डिजिटल डेस्क,कटनी। विजयराघवगढ़ क्षेत्र अंतर्गत कन्हवारा पौड़ीं आरएफ क्रमांक 84 के प्लानटेशन तार फेसिंग में फंसे तेंदुए को सुरक्षित निकलने में तीन घंटें से अधिक का समय लग। पहला डॉट फेल होने पर बांधवगढ़ रेस्क्यू टीम ने वाहन का दिशा बदलते हुए दूसरा डॉट लगाया। दस मिनट बाद तेंदुआ बेहोश हो गया। मेडिकल टेस्ट और व्यवहार का आंकलन करते हुए उक्त तेंदुए को बांधवगढ़ के जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया है। सुबह जब ग्रामीण गांव में बाहर की तरफ निकले तो देखे की एक तेंदुआ फेसिंग के तार में बीचों-बीच फंसा हुआ है। जिसकी जानकारी पुलिस के साथ ग्रामीणों ने वन विभाग को दी। सूचना पर 8 बजे पुलिस पहुंच गई। इसके बाद वन विभाग के अधिकारी भी यहां पर आए।

तीन घंटें तक दहशत में रहे ग्रामीण

इस बात की आशंका रही कि उक्त तेंदुए के साथ अन्य तेंदुए भी हैं। जिसके चलते तीन घंटें से अधिक समय तक यहां पर दहशत रही। तेंदुआ तार से निकलकर किसी ग्रामीण पर हमला न करने पाए। जिसके लिए पुलिस और वन विभाग के कर्मचारी करीब पांच सौ मीटर पहले ही ग्रामीणों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके साथ तेंदुए के आसपास भी सुरक्षा घेरा बनाया गया था।

रेस्क्यू टीम को आने में लगा समय

वन विभाग के पास फिलहाल वन्य प्राणियों को रेस्क्यू करने के लिए संसाधन नहीं है। तेंदुए के तार में फंसने की जानकारी यहां के अधिकारियों ने बांधवगढ़ के अफसरों को दी। जिसके बाद इसमें प्रशिक्षित अधिकारी संसाधनों के साथ पहुंचे। पहले पूरे क्षेत्र का मुआयना किया। इसके बाद रेस्क्यू किया। नर तेंदुए की उम्र 4 वर्ष और वजन करीब 45 किलो थी। तार से निकलने की कोशिश में तेंदुए के शरीर में कुछ जगहों पर खरोंच भी लग गए थे।

सीपीटी की जगह पर तार फेसिंग से खतरे में प्राणी इस तरह से सीपीटी (पशु अवरोधक खनती) की जगह पर तार फेसिंग अब वन्य प्राणियों के साथ-साथ पालतू मवेशियों के लिए भी खतरा बने हुए हैं। बताया जाता है कि प्लांटेशन को सुरक्षित रखने के लिए जहां चारों तरफ गड्ढे किए जाते थे। वहीं अब तार फेसिंग का प्रचलन बढ़ा हुआ है। इस तार फेसिंग के पीछे अलग-अलग कारण लोग बता रहे हैं। जिसमें तो यह बताया जा रहा है कि बड़े सप्लायरों ने निजी फायदे के लिए इस तरीके को इजाद किया है, जबकि मनरेगा के तहत भी वन विभाग में काम होते हैं। यदि प्लांटेशन के चारों तरफ गड्ढा किया जाता है तो इसका फायदा मजदूरों को सीधे मिलेगा, लेकिन सप्लायर और अधिकारी अपना फायदा ही देखते हुए सीपीटी की दिशा को ही बदल दिए हैं।                  

 

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