ककरहटी नगर परिषद में आमजन छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर परेशान
ककरहटी ककरहटी नगर परिषद में आमजन छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर परेशान
डिजिटल डेस्क , ककरहटी । ककरहटी नगर परिषद जो पूर्व से ही विकास के रूप में जिले में सबसे पिछडी नगर परिषद है जितना विकास ककरहटी का होना चाहिए उससे आज भी वंचित है। जिसका प्रमाण 10 फिट का बस स्टैंड भी नहीं बच्चों को खेलने के लिए 30 फिट का मैदान भी नहीं ऐसी ही नगर की अनेकों समस्याएं हैं जिनसे आम जनों को जूझना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण ककरहटी नगर परिषद में पदस्थ अधिकारी अतिरिक्त प्रभार पर हैं उपयंत्री पिछले 2 वर्षों से अतिरिक्त प्रभार में हैं जो देवेन्द्रनगर में पदस्थ हैं और ककरहटी का प्रभार लिए हैं अकाउंटेंट अमानगंज में पदस्थ है लेकिन अतिरिक्त प्रभार ककरहटी का लिए हैं। सबसे बड़ी समस्या सीएमओ की है एक अधिकारी सीएमओ ओ.टी. मिश्रा के रूप में स्थाई तौर पर मिला था उन्हें भी ककरहटी अमानगंज देवेंद्रनगर तीन नगर परिषद का प्रभार सौंप दिया गया है। ऐसी स्थिति में नगर के विकास की स्वच्छता अभियान की एवं शासन द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं से गरीबों को मिलने वाले लाभ की कल्पना कैसे की जा सकती है। किसी भी संस्था का प्रशासन तभी संचालित होता है जब उस में पदस्थ सभी जवाबदेह अधिकारी स्थाई रूप से रहेे और अपने कर्तव्यों का बखूबी पालन करें तभी उस संस्था का उद्देश्य पूरा होता है। आज नगर परिषद ककरहटी नाम मात्र के लिए नगर परिषद रह गई है क्योंकि सभी जवाबदेह अधिकारी दो-दो तीन-तीन जगह का अतिरिक्त प्रभार लिए हैं। ऐसी स्थिति में यह जवाबदेह अधिकारी अपने दायित्वों का कैसे निर्वहन कर पाएंगे। यह मध्यप्रदेश शासन एवं जिला प्रशासन के लिए अत्यंत गंभीर समस्या है ककरहटी नगर के आमजन मध्यप्रदेश शासन सहित जिला प्रशासन से आशा करते हैं कि अगर ककरहटी को विकास मय करना है जन समस्या से मुक्त करना है तो सभी जवाबदेय अधिकारी सीएमओ, उपयंत्री, अकाउंटेंट को स्थाई रूप से ककरहटी का ही प्रभार दिया जाए जिससे हमारा नगर विकासमय हो सके। अतिरिक्त प्रभार से जूझती नगर परिषद के संबंध में उपयंत्री अकाउंटेंट को स्थाई तौर पर रखे जाने के संबंध में समाजसेवी कैलाश त्रिपाठी ने नगर की जनता की ओर से मेल के माध्यम से मांग पत्र संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन भोपाल अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन को प्रेषित कर मांग की है। सीएमओ ओ.टी. मिश्रा से जब किसी समस्या के संबंध में बात की जाती है तो कभी उपयंत्री के ना होने तो कभी अकाउंटेंट ना होने के कारण रुक जाती है। उन्होंने बताया कि मैंने इस सबंध में मध्यप्रदेश नगरीय प्रशासन को एवं जिला प्रशासन को पत्र प्रेषित किया है लेकिन उनका यह भी कहना है कि मैं स्वयं तीन जगह का प्रभार लिए हूं इसके बाद भी भरतक कोशिश करूंगा की तीनों जगह का विकास संभव हो।