पहली बार नजर आया ब्लैक स्टोर्क, पंछी प्रेमियों में काफी उत्सुकता
मेहमान नवाजी पहली बार नजर आया ब्लैक स्टोर्क, पंछी प्रेमियों में काफी उत्सुकता
डिजिटल डेस्क, भंडारा। प्रतिवर्षानुसार इस बार भी दिसंबर, जनवरी व फरवरी माह में भंडारा तथा गोंदिया जिले में बड़ी संख्या में विदेशी मेहमानों ने डेरा डाला है। इनमें यूरोप से हजारों किलोमीटर का लंबा सफर तय कर ब्लैक स्टोर्क नामक पक्षी का पहली बार भंडारा के लाखनी तहसील में आगमन होने पर उसको देखने के लिए पंछी प्रेमियों व अभ्यासकों में काफी उत्सुकता है। इस संदर्भ में पंछी अभ्यासकों के अनुसार लाखनी तहसील के एक तालाब में चार काला करकोचा (ब्लैक स्टोर्क) पक्षी नजर आए है। जिनमें एक नर व एक मादा तथा दो छोटे पक्षी है। इससे पूर्व विदर्भ के कुछ जिले में ब्लैक स्टोर्क पक्षी पाए गए थे। इसी तरह पांच वर्षों पूर्व जिले में तीन वाईट स्टार्क आए थे, लेकिन ब्लैक स्टोर्क का भंडारा में पहली बार आगनम हुआ है। मुख्य रूप से यह पक्षी यूरोप में पाए जाते है। इनकी चोच लंबी व पैर लाल रंग के होते है। पेट का सफेद हिस्सा छोड़ यह पूर्णता काले होते है। इसका शास्त्रीय नाम सिनकोना नायग्रा होकर इसकी लंबाई लगभग 100 से.मी. होती है। इसी तरह जिले के साकोली, लाखनी व भंडारा तहसील में पहले कम संख्या में आनेवाले कलहंस बदक अभी सैकड़ों की संख्या में पहुंच रहे हैं। ऐसे में इन विदेशी मेहमानों को देखने के लिए दूरदराज से पर्यटकों व पंछी प्रेमी तथा अभ्यासक पहुंच रहे हैं।
सुरक्षा का ध्यान रखा तो बढ़ सकती है संख्या
प्रा. अशोक गायधने, पक्षी अभ्यासक व कार्यवाह, ग्रीनफ्रेंड्स नेचर क्लब, लाखनी के मुताबिक भंडारा व गोंदिया जिले में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है। ऐसे में यहां कलहंस बदक बड़ी संख्या में नजर आते है। जबकि पट्टकादंब अथवा राजहंस यह दोनांे जिलों में कम संख्या में नजर आते है। ऐसे में फरवरी माह में ब्लैक स्टोर्क के आगमन से पक्षी प्रेमियों को सुकून मिला है। तालाबों पर पक्षियों के लिए खाद्य व इनकी सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए, तो इनकी संख्या बढ़ सकती है।