टार्च की रोशनी से बचने की जागी उम्मीद, बढ़ा साहस मलबे से खुद पैर निकालकर लगाई मदद की गुहार
टनल हादसे में बचे मजदूरों ने सुनाई आपबीती, भगवान और रेस्क्यू टीम का जताया आभार टार्च की रोशनी से बचने की जागी उम्मीद, बढ़ा साहस मलबे से खुद पैर निकालकर लगाई मदद की गुहार
डिजिटल डेस्क स्लीमनाबाद। अचानक से मिट्टी धंसकने लगी, हम सभी मजदूर जबतक कुछ समझ पाते, तब तक मलबे में दब चुके थे। गनीमत यह रही कि गड्ढे में लोहे की जाली लगाने का काम कर रहा था। लोहे की जाली सहित करीब 60 फीट गड्ढे की गहराई में समा गए। भगवान के ऊपर पूरा विश्वास रहा। इसी बीच ऊपर से टार्च की रोशनी दिखाई दी। जिससे बचने की उम्मीद जग गई। गंबूट सहित पैर मलबे में दबा रहा, लेकिन रोशनी देखने के बाद साहस बढ़ा और मलबे से पैर अलग करते ऊपर की ओर बढ़े। यहां से हमें सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला गया। यह बात उस विजय ने बताई, जो करीब 10 घंटें तक मलबे में दबा रहा। जिला अस्पताल में इलाजरत चारों मरीज घटना से अभी भी सहमें हुए हैं और ऊपर वाले का ही शुक्रिया करते हुए कह रहे हैं कि उन्होंने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा था। जिसके चलते वे मौत के मुंह से निकलकर आए हुए हैं। टनल हादसा में सुरक्षित लोगों की मदद करने भी लोग पहुंचे।
ठेकेदार के माध्यम से आए थे काम करने
घटना का सबसे अहम पहलू यह है कि ये सभी उस सिंगरौली जिले के रहने वाले हैं, जहां पर कई कारखाने हैं। मजदूरों ने बताया कि वे सभी ठेकेदार के माध्यम से यहां पर पहुंचे हुए थे। एक दिन में 600 रुपए देने का वादा किया गया था। एक माह का समय अभी नहीं हुआ था। इसलिए वेतन भी नहीं मिला है। वेतन मिलने पर वे घर जाने की तैयारी में थे, लेकिन उसके पहले ही उनके साथ दुर्भाग्यवश इस तरह की घटना घटित हुई। यह भाग्य में ही लिखा रहा कि वेयहां पर काम करने के लिए पहुंचे।
अव्यवस्था पर नाराजगी भी जताई
श्रमिकों को इलाज के लिए अस्पताल जरुर लाया गया, लेकिन प्रशासनिकअधिकारियों ने यहां पर उनकी सुध नहीं ली। सुबह कपड़े नहीं रहे तो रमाकंात दीक्षित ने कपड़े की व्यवस्था की। इसके बाद घायलों का हाल जानने के लिए अस्पताल में पदमेश गौतम पहुंचे। जिन्होंने अस्पताल प्रबंधन से इलाज की जानकारी ली और व्यवस्था की। यहां तक कि चितरंगी विधायक को जानकारी दी और संबंधित मजदूरों को बात भी कराया। फल-फूल के साथ अन्य व्यवस्था की। परिवार से बात करने के बाद अच्छा लगा परिवार से बात करने के बाद अस्पताल में भर्ती सभी श्रमिक खुश दिखाई दे रहे हैं। नंद कुमार यादव के 2 बच्चे हैं। इन्होंने कहा कि बच्चों की ही किस्मत रही कि आज वे सभी के बीच हैं। इन्द्रमणि के तीन बच्चे हैं। सबसे बड़ी बेटी संगीता छोटी बेटी कुसम और बेटा बृजेश कुमार पढ़ाई कर रहे हैं।मोतीराम कोल के तीनों बच्चों भी पढ़ाई कर रहे हैं। श्रमिकों ने बताया कि बस अब उनका यही सपना है कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर ऐसा काम करें कि कम सेकम वे शान से अपना जीवन-यापन कर सकें।
टनल से सौ मीटर पहले हुआ हादसा
टनल निर्माण की डाउन स्ट्रीम में आगे बढ़ रही टीबीएम से करीब 100 मीटर आगे बनाए जा रहे गड्ढे में यह हादसा घटित हुआ है। जहां टीबीएम के पहुंचने पर कटर हेड की रिपेयरिंग की जानी थी। बताया जाता है कि अभी यह मशीन स्लीमनाबाद के पचपेढ़ी मोहल्ले में रिहायशी बस्ती के नीचे से गुजर रही है। करीब सौ मीटर दूरी तय करने के बाद मशीन की रिपेयरिंग करने के लिए पहले से गड्ढा तैयार किया जा रहा था। आठ मीटर चौड़ा और पंद्रह मीटर लंबाई का 88 फीट गहरा गड्ढा किया जा रहा था, जो बीच में ही धसक गया और गंभीर हादसा घटित हुआ। इससे गड्ढे के निर्माण के लिए उपयोग की जा रही तकनीक को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। टनल निर्माण का जिम्मा हैदराबाद की पटेल एसईडब्लू कंपनी को मिला है। जिसके द्वारा डाउन स्ट्रीम के निर्माण का कार्य रॉबिन्स कंपनी को सौंपा गया है। गड्ढा निर्माण के लिए रॉबिन्स कंपनी ने नागपुर की एसबी इंजीनियरिंग को पेटी ठेके में काम देने की बात सामने आई है। मिट्टी धंसकने से रोकने के लिए स्लीमनाबाद में ग्राउंड ग्राउटिंग का कार्य भी कराया गया है। इसके बाद भी मिट्टी घंसकी जिससे ग्राउटिंग के कार्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। गड्ढा बनाए जाने के दौरान एनवीडीए के अधिकारियों को नियमित रुप से निगरानी का जिम्मा था। हादसा घटित होने के बाद सभी की भूमिका सवालों के घेरों में है।