5.22 करोड़ के ड्रीम प्रोजेक्ट से टूटी किसानों की आस
विभाग ने लापरवाही पर दिया अभयदान 5.22 करोड़ के ड्रीम प्रोजेक्ट से टूटी किसानों की आस
डिजिटल डेस्क,कटनी। किसानों के ड्रीम प्रोजेक्ट सिहुड़ी जलाशय का काम मंथर गति से चल रहा है। दो वर्ष पहले 5 करोड़ 22 लाख की लागत से जब इसका भूमि पूजन किया गया था तो अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने यह भरोसा दिलाया था कि वर्ष 2023 तक इस बांध से किसानों के खेतों में पानी पहुंचने लगेगा, लेकिन दो वर्ष के निर्माण में 10 फीसदी काम भी नहीं हुआ है। काम की यह चल रही तो इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में दस वर्ष लग जाएंगे। जिससे किसानों में रोश व्याप्त है। जिससे सिहुँडी, केवलरहा, कछारगांव ,मोहतरा, कंचनपुर, पटना बसेहड़ी के सैकड़ों किसानों में निराशा है।
कई बार बंद हुआ काम
जिस ठेकेदार को यह काम दिया गया है। उसने दो वर्ष के अंतराल में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को जमकर नचाया। बीच-बीच में कार्य बंद करना ठेकेदार की आदत बन चुकी है। जिसके चलते कार्य में गति नहीं आ पा रही है। जलाशय की नहरों की लंबाई 3480 मीटर तथा केचमेंट एरिया 8.75 हेक्टेयर है । इसकी सिंचाई क्षमता 360 हेक्टेयर है। किसानों के बीच यह चर्चा है कि अधिकारी राजनैतिक दवाब के चलते ठेकेदार पर कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
स्थल पर सिर्फ चौकीदार
जिस जगह पर यह काम चल रहा है। वहां पर काम करने वाले स्टाफ नहीं हैं। स्थल पर सिर्फ एक चौकीदार को ही रखा गया है। यहां पर निर्माण के समय जो मशीनरी लाई गई थी। वे सभी जंग खा रहे हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जिस तरह से कबाड़ हो चुकी मशीनों को इस जलाशय निर्माण के काम में लगाया गया है। उससे तो ठेकेदार की मंशा ही पहले से साफ दिखाई दे थी। इसके बावजूद उम्रदराज मशीनों से काम करने की अनुमति जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों को देना समझ से परे है।
किसानों के साथ छलावा
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि उनके साथ विभागीय अधिकारी हमेशा से छलावा कर रहे हैं। सचिन ठाकुर, सीताराम, बिसरबता आदिवासी, भारती ठाकुर ने बताया कि पठार क्षेत्र होने के चलते यहां पर पानी तलहटी में पहुंच जाता है। सिर्फ जलाशयों से किसानों को उम्मीद है। इस उम्मीद पर अफसर और ठेकेदार पानी फेर रहे हैं। एक तरफ खेती-किसानी को लाभ का धंधा बनाने के लिए विभागीय अधिकारी समय-समय पर कार्यशाला आयोजित कर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वहीं मैदान में इनकी अधूरी तैयारी से खेती का धंधा लाभदायक की बजाय खर्चीला होते जा रहा है।
इनका कहना है
तकनीकी और मैदानी समस्या के कारण इस तरह की स्थिति निर्मित होती है। बारिश का सीजन समाप्त हो चुका है। विभाग की कोशिश है कि एक सप्ताह के अंदर जलाशय के कार्य को शुरु किया जा सके। इसे लेकर पूरा अमला गंभीर है।
-एल.एन.तिवारी, उपयंत्री