टोल वसूली की सीएजी करे जांच, हाईकोर्ट ने कहा- मुंबई-पुणे हाईवे की वसूल नहीं हुई लागत यह अविश्वसनीय
टोल वसूली की सीएजी करे जांच, हाईकोर्ट ने कहा- मुंबई-पुणे हाईवे की वसूल नहीं हुई लागत यह अविश्वसनीय
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई-पुणे महामार्ग के लागत और टोल के ठेके से जुड़े पहलू की जांच भारत के महालेखा परीक्षक (सीएजी) से कराने की बात कही है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह अविश्वसनीय प्रतीत होता है कि अब तक मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे की बुनियादी लागत की वसूली नहीं हो पायी है। इससे पहले हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल (एमएसआरडीसी) की ओर से दायर किए गए हलफनामे पर गौर करने के बाद अप्रसन्नता व्यक्त की। क्योंकि हलफनामे में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया था कि मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे निर्माण की लागत कितनी है और हर साल इसके रखरखाव में कितनी रकम खर्च होती है।
हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण वाटेगांवकर की ओर से मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे के टोल वसूली पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में दावा किया गया है कि इस एक्सप्रेस वे से ठेकेदार ने निर्धारित रकम से अधिक राशि वसूल कर ली है। इसलिए टोल वसूली पर रोक लगाई जाए। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी।
अभी 22 हजार 370 करोड़ की वसूली बाकीः एमएसआरडीसी
इस दौरान एमएसआरडीसी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि अब तक मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे की लागत वसूली नहीं हो पायी है। एमएसआरडीसी को अभी भी 22 हजार 370 करोड़ रुपए की वसूली करना बाकी है। इसलिए साल 2030 तक मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे पर टोल की वसूली जारी रहेगी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि एमएसआरडीसी ने जो हलफनामा दायर किया है, उसमें मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे के निर्माण में कितना खर्च हुआ है, इसका जिक्र तक नहीं किया है। हमारे लिए इस पर यकीन करना मुश्किल है कि अब तक एक्सप्रेस वे की लागत की वसूली नहीं हुई है।
इस दौरान खंडपीठ ने प्रोजेक्ट के बारे में सीएजी (कैग) की रिपोर्ट में दी गई जानकारी पर भी गौर किया। इसके बाद खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले की जांच सीएजी द्वारा गहराई से कराने के लिए प्रस्तावित करते हैं। लेकिन इससे पहले हम इस विषय पर राज्य के महाधिवक्ता व एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह को गुरुवार को सुनेंगे। इसके बाद अपना आदेश जारी करेंगे। खंडपीठ ने अब मामले की सुनवाई 18 मार्च 2021 को रखी है।