पोस्टमार्टम के बाद भी शरीर में बंदूक की गोली

नागपुर पोस्टमार्टम के बाद भी शरीर में बंदूक की गोली

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-02 11:15 GMT
पोस्टमार्टम के बाद भी शरीर में बंदूक की गोली

डिजिटल डेस्क, नागपुर. डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजों की जान जाने के आरोप आए दिन लगते हैं। हाल में 19 वर्षीय एक युवक को दो गोली लगने के बाद ऑपरेशन से एक गोली निकाली गई। दूसरी गोली शरीर में रह गई। बंदूक की गोली से शरीर का अंदरूनी हिस्सा छिन्न-भिन्न हो गया था। चार दिन उपचार के बाद युवक की मौत हो गई। पोस्टमार्टम के लिए शव मेडिकल में भेजा गया। डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम किया, लेकिन बंदूक की गोली शरीर से निकाली नहीं गई। वह युवक के शरीर में फंसी रह गई। रिश्तेदारों द्वारा बैतूल के लिए शव लेकर जाने के बाद बंदूक की गोली शव के शरीर में होने का खुलासा हुआ। आधे रास्ते से शव वापस मेडिकल में लाया गया और गोली निकाली गई। 

बंदूक साफ करते वक्त घटना

घटना बैतूल की है। बंदूक साफ करते समय 19 वर्षीय मोहक कोकास नामक युवक को छह दिन पहले दो गोली लगी थी। तत्काल मेडिकल में उपचार के लिए लाया गया। ट्रामा यूनिट में भर्ती किया। उसका ऑपरेशन किया गया। एक गोली निचले हिस्से में थी। डॉक्टरों ने जान बचाने के प्रयास में गोली नहीं निकाली। दो दिन बाद युवक की मृत्यु हो गई। लीगल केस होने के कारण पोस्टमार्टम आ‌वश्यक था। मोहन के शव का पुलिस ने पंचनामा किया, लेकिन उपचार के दौरान केस पेपर ट्रामा में थे। पेपर नहीं होने से पोस्टमार्टम करते समय यह ध्यान नहीं आया और पोस्टमार्टम निपटा लिया गया। ऑटोप्सी सहित पोस्टमार्टम कर मोहक का शव रिश्तेदारों को सौंपा गया। रिश्तेदारों ने शववाहिका से शव लेकर बैतूल की ओर निकले। इस बीच शल्य चिकित्सक व पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के संवाद से बंदूक की गोली मोहक के शरीर से नहीं निकाले जाने का खुलासा हुआ। इसे लेकर अफरा-तफरी मच गई। नियमानुसार यह गोली न्याय सहायक प्रयोगशाला को भेजना आवश्यक था, लेकिन शव में ही वह गोली थी। तत्काल रिश्तेदारों को फोन किया। आधे रास्ते से मोहक का शव दोबारा मेडिकल के पोस्टमार्टम रूम में लाया गया। डॉक्टरों की लापरवाही का यह मामला होने का आरोप लगाया जा रहा है।

हमारा प्रयास यह था

डॉ. शरद कुचेवार, वैद्यकीय अधीक्षक, मेडिकल के मुताबिक न्याय वैद्यक विशेषज्ञों की जानकारी अनुसार युवक को पैनक्रियाज में गोली लगी थी। यह गोली पेरियोटिनियम में अटकी थी। यह गोली शरीर में होने से उपचार में कोई फर्क नहीं पड़ता। मरीज की जान बचाना महत्वपूर्ण था। डॉक्टरों ने जान बचाने का काफी प्रयास किया। एक ही गोली थी। केस पेपर शहर के साथ नहीं होने से रह गई। ऑटोप्सी की। पोस्टमार्टम के बाद रिश्तेदार शव लेकर गए, लेकिन गोली शरीर में रहने की जानकारी मिलने के बाद पुलिस की सहायता से शव दोबारा वापस मंगवाया गया। यह गोली सबूत थी। इसलिए जरूरी था कि सबूत नष्ट न हो। गोली निकालने के बाद शव रिश्तेदारों को सौंपा गया। पुलिस और रिश्तेदारों ने सहकार्य किया। 
 

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