स्टूडेंट्स की मदद से सरकार करेगी 45 हजार गांवों का सर्वे, किसानों को होगा फायदा
स्टूडेंट्स की मदद से सरकार करेगी 45 हजार गांवों का सर्वे, किसानों को होगा फायदा
डिजिटल डेस्क, नाशिक। किसानों की राह आसान बनाने सरकार अब स्टूडेंट्स की मदद लेगी। स्टूडेंट्स की मदद से किसानों को अब शीघ्र मुआवजा मिल सकेगा। प्रदेश के किसानों के लिए अब अपने उत्पाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेचना भी ज्यादा आसान हो जाएगा। साथ ही उन्हें सरकार की ओर से किए जाने वाले भुगतान में भी विलंब का सामना नहीं करना पड़ेगा। बाढ़, सूखा और ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय फसल नुकसान का सटीक आकलन भी समय रहते हो सकेगा। जिससे उन्हें जल्द मुआवजा मिलने में भी आसानी होगी।
यह इसलिए संभव हो सकेगा क्योंकि आने वाले दिनों में प्रदेश में कुल बुवाई से लेकर क्षतिग्रस्त क्षेत्र के सटीक आंकड़े सरकार को उपलब्ध हो सकेंगे। इसके लिए राज्य के चार कृषि विश्वविद्यालय- डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, डॉ. बालासाहब सावंत कोंकण कृषि विद्यापीठ, महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ और वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ की ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव शाखा के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत 60 हजार विद्यार्थियों की मदद ली जाएगी। राज्य सरकार बुवाई से लेकर क्षतिग्रस्त क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए इन विद्यार्थियों को प्रदेश के सभी 45 हजार राजस्व गांवों में भेजेगी।
पहले चरण के लिए शासनादेश जारी
इस पहल से संबंधित प्रस्ताव राज्य कृषि लागत और मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंपा था। इसे मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव विजय कुमार ने पहले चरण के लिए शासनादेश जारी किया। जुलाई 2019 से इस पर अमल शुरू होगा। पटेल के मुताबिक, योजना के पहले चरण में विद्यार्थियों को बुवाई के सर्वेक्षण के लिए पटवारी व कृषि अधिकारियों के साथ भेजा जाएगा। वहीं, सूत्रों की मानें तो पहले चरण में मिली सफलता के आधार पर दूसरे चरण में विद्यार्थियों को आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान का मुआयना करने के लिए भी भेजा जा सकता है। हालांकि, दूसरे चरण को लेकर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
बुवाई और उत्पादन के सटीक आंकड़े मिल सकेंगे
सरकार की इस पहल से कृषि व राजस्व अधिकारियों पर काम का बोझ तो कम होगा ही, किसानों के उत्पाद खरीदने में भी आसानी होगी। क्योंकि बुवाई के सटीक आंकड़े मिलने से सरकार फसल के उत्पादन का उचित अनुमान लगा सकेगी। इससे खरीद के लिए फंड निर्धारण व भंडारण की व्यवस्था करने में आसानी होगी। इस काम के लिए जिलाधिकारी व जिला कृषि अधिकारी हर गांव में पटवारी, ग्रामसेवक, कृषि सहायक व कृषि विश्वविद्यालय के दो-दो विद्यार्थियों का दल गठित करेंगे। ये दल संबंधित गांव में कृषि के आंकड़े जुटाएगा।
अभी सीसीसी करती है नुकसान का प्रारंभिक मुआयना
फिलहाल, प्राथमिक स्तर पर क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट कमेटी आपदा से होने वाले फसल नुकसान का मुआयना करती है। इसमें राजस्व, कृषि, ग्राम विकास अधिकारी के अलावा बीमा कंपनी का प्रतिनिधि, किसान और सरपंच शामिल होते हैं। ये लोग फसल का निरीक्षण करते हैं। इसके बाद आनेवारी तय होती है। जिसके आधार पर मुआवजा मिलता है।
इसलिए लेना पड़ा फैसला
पिछले दो साल में चना, तुअर और प्याज के बुवाई क्षेत्र का सटीक आकलन न होने से सरकार को खरीदारी करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। परिणामस्वरूप किसानों को भुगतान करने में देर हुई। खरीदे गए कृषि उत्पादों के भंडारण करने में भी दिक्कतें आईं। लिहाजा भविष्य में इन समस्याओं को टालने के लिए सटीक आंकड़े होने जरूरी थे।
योजना से राजस्व और कृषि अधिकारियों का तनाव कम करने में मदद मिलेगी। फसल के योग्य आंकड़े मिलेंगे और किसानों का भुगतान समय पर होगा। वहीं, विद्यार्थियों को भी जमीनी अनुभव हासिल होगा।
- पाशा पटेल, अध्यक्ष, राज्य कृषि लागत और मूल्य आयोग