मेट्रो कारशेड बनाने राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से मांगी अनुमति, राज्य-केंद्र सरकार के बीच शुरु है विवाद
मेट्रो कारशेड बनाने राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से मांगी अनुमति, राज्य-केंद्र सरकार के बीच शुरु है विवाद
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेट्रो कारशेड के लिए 102 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के बीच जारी विवाद के बीच मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने कारशेड के कार्य को शुरु करने की अनुमति की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया है। पर्यावरण प्रेमी जोरु भतेना ने भी इस विषय पर एक आवेदन दायर किया है। कोर्ट ने अगले शुक्रवार को इस मामले से जुड़ी याचिका व आवेदन पर सुनवाई रखी है।
एमएमआरडीए ने आवेदन में कहा है कि मेट्रो जनहित से जुड़ा प्रोजेक्ट है। इसलिए उसे कार्य को जारी रखने की इजाजत दी जाए। एमएमआरडीए ने कहा है कि जमीन के मालिकाना हक को लेकर जिस किसी के पक्ष में निर्णय आएगा। वह उसे कानून के हिसाब से जमीन अधिग्रहण का मुआवजा देने को तैयार है। वहीं भतेना ने कहा है कि काजुंरमार्ग की जमीन मेट्रो कारशेड के लिए उपयुक्त है। मूल रुप से केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जमीन के स्थानांतरण से जुड़े राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती दी है।
केंद्र सरकार ने याचिका में दावा किया है कि राज्य सरकार ने अवैध तरीके से जमीन का स्थानांतरण एमएमआरडीए को किया है। क्योंकि यह खार जमीन (साल्टपेन) है। जिसका मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने जमीन स्थानांतरण को लेकर उपनगर के जिलाधिकारी की ओर से जारी किए गए आदेश पर रोक लगा दी थी। जिसके चलते कारशेड का काम रुक गया है। जिसे एमएमआरडीए शुरु करने की अनुमति चाहता है।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने यह मामला सुनवाई के लिए आया। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने मामले से जुड़ी याचिकाओं का अध्ययन करने के लिए समय की मांग की। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।