अच्छी खबर: महानगरों में रोजगार से परिवार को आर्थिक संबल दे रहीं ग्रामीण क्षेत्र की बेटियां
अच्छी खबर: महानगरों में रोजगार से परिवार को आर्थिक संबल दे रहीं ग्रामीण क्षेत्र की बेटियां
- हुनर को अधिकारियों ने पहचाना, भोपाल में छह माह की ट्रेनिंग से व्यक्तित्व का हुआ विकास, 366 को मिला है योजना का लाभ
डिजिटल डेस्क कटनी। ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी बेटियां आज महानगरों में नामी कंपनी में काम करते हुए अपने परिवार को आर्थिक संबल दे रही हैं। दरअसल युवतियों के अंदर हुनर को पहचानने का काम ग्रामीण आजीविका मिशन के सदस्यों ने किया, लेकिन ट्रेनिंग के लिए भोपाल भेजना और फिर बाद में गुजरात, हैदराबाद, तेलंगाना और राज्य के बाहर अन्य महानगरों में स्वरोजगार के लिए बेटियों का जाना अभिभावकों को रास नहीं आ रहा था। इस चुनौती को महिला समूह के सदस्यों के साथ मिलकर अफसरों ने पार किया। जिसका परिणाम है कि अनलॉक के बाद आज महानगरों में जिले की 115 युवतियां अपना ही नहीं, बल्कि अपने परिवार के हर सदस्यों का भविष्य रोजगार के माध्यम से संवार रही हैं।
दूर होती गई भ्रांतियां-
एनआरएलएम की जिला प्रबंधक शबाना बेगम बताती हैं कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के माध्यम से गांवों के स्वसहायता समूह से जुड़े बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। इन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में युवतियों को ट्रेनिंग के लिए बाहर भेजने पर माता-पिता कतराते थे। यदि किसी तरह से भोपाल में ट्रेनिंग प्राप्त कर भी लेते थे तो फिर महानगरों में रोजगार के लिए भेजने में कई तरह की परेशानी अभिभावकों को रही। इस तरह की भ्रंातियों को युवतियों ने ही दूर किया। महानगर में पहुंचने के बाद रोजगार से युवतियां आर्थिक रुप से ही आत्मनिर्भर नहीं हुईं, बल्कि उस पद और सम्मान का भी हकदार हुईं। जिसके लिए वे होनहार रहीं। अब युवतियां इस योजना में स्वयं रुचि ले रही हैं।
हर किसी को अवसर-
समूह से जुड़े परिवार के बेटे और बेटी के लिए इस योजना में रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं। कौशल उन्नयन के जिला प्रबंधक कमलाकर मिश्रा बताते हैं कि योजना के तहत युवक और युवतियों को चयन कर भोपाल में छह माह के लिए अलग-अलग ट्रेडों में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है।रिटेल, वेयरहाउस पेकर, इलेक्ट्रिीशियन एवं अन्य ट्रेड हैं। प्रशिक्षण के साथ-साथ कम्प्यूटर, इंग्लिश एवं व्यक्तित्व विकास का ट्रेनिंग विशेषज्ञ देते हैं। अभी तक करीब 366 युवतियां इस योजना का लाभ ले चुकी हैं। जिसमें 70 से 75 प्रतिशत युवतियां आज महानगरों में रोजगार से जुड़ी हैं।
बेटियों पर हमें नाज-
माता-पिता बेटियों पर नाज करते हुए कहते हैं कि आज बेटियों के दम पर उन्हें समाज में ऊंचा स्थान मिला हुआ है। बड़वारा जनपद अंतर्गत परसेल के पंचू बताते हैं कि अब बेटी के भविष्य की किसी तरह से चिंता नहीं है। बेटी सीमा बाई ने बताया कि उनका परिवार बीपीएल श्रेणी में रहा। साल भर में मुश्किल से 30 हजार रुपये की आय प्राप्त होती थी। हरियाणा के बिलासपुर में कंपनी से जुड़कर आज प्रतिमाह 12 हजार रुपये की आय प्राप्त कर रही हैं। विजयराघवगढ़ ब्लाक के शिवधाम निवासी मोतीलाल पटेल की बेटी निशा पटेल हैदराबाद में एक कंपनी में सेल्स एशोसिएट के पद पर कार्यरत हैं। प्रतिमाह इन्हें 18721 रुपये का वेतन मिलता है। विजयराघवगढ़ के जमुआनीकला गांव की रहने वाली हेमा और ढीमरखेड़ा क्षेत्र के गांव परसेल की मनीषा के साथ अन्य युवतियां आज अपने मजबूत पैरों में खड़ी हैं।
इनका कहना है-
योजना के सार्थक परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं। आज कई बेटियां महानगरों में रोजगार से जुड़कर अपने परिवार को आर्थिक रुप से मजबूत कर रही हैं। समय-समय पर एनआरएलएम के माध्यम से युवतियों और परिजनों से संपर्क भी किया जाता है, ताकि कंपनी में उन्हें किसी तरह से परेशानी न हो।
-जगदीश चंद्र गोमे, सीईओ जिला पंचायत कटनी