रिलीज आर्डर लिए भटक रहे किसान, जिम्मेदार अलाप रहे ऑल इज वेल

गोदामों में भरी खाद, समितियों में बना कृत्रिम संकट रिलीज आर्डर लिए भटक रहे किसान, जिम्मेदार अलाप रहे ऑल इज वेल

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-02 08:14 GMT
रिलीज आर्डर लिए भटक रहे किसान, जिम्मेदार अलाप रहे ऑल इज वेल

डिजिटल डेस्क,कटनी। प्रशासन के दावे के बावजूद समितियों में खाद की किल्लत शुरु हो गई है। धान की फसल के लिए एक बार और यूरिया की आवश्यकता किसानों को है, इसके बावजूद दूर-दराज की समितियों में इसकी उपलब्धता नहीं है। जिसके चलते मजबूरी में किसान प्राइवेट दुकानों से मंहगें दामों में खाद खरीद रहा है। कृषि विभाग को शिकायत का इंतजार है।

दरअसल रैक प्वाइंट होने के कारण यहां पर तो खाद की कमीं उस तरह से नहीं होती। जिस तरह से अन्य जिलों में होती है, लेकिन व्यापारियों  और दुकानदारों को फायदा पहुंचाने के लिए परदे से पीछे का खेल शुरु हो गया है। गोदामों तो अभी इतना स्टॉक है कि इससे दो से तीन दिन तक आसानी से काम चल सकता है। यूरिया, डीएपी, काम्पलेक्स का शासकीय गोदामों में 1171 मीट्रिक टन स्टॉक है। इसमें यूरिया को छोड़ दिया जाए तो डीएपी और काम्पलेक्स की उपलब्धता 1078 टन है। इसके बावजूद कृत्रिम रुप से बनाए गए संकट में अन्नदाता पिस रहे हैं। अधिकारियों के दावे को लेकर जब ग्रामीण क्षेत्रों में खाद के उपलब्धता की जानकारी ली गई तो वहां की तस्वीर अलग ही दिखाई दी।

यह है स्थिति

खाद        आवक   वितरण  स्टॉक
यूरिया       2243   2149    93
डीएपी       2791  2213    578
काम्पलेक्स   589   89       500

बहोरीबंद: यूरिया का स्टॉक समाप्त

सहकारी विपणन संघ बहोरीबंद में डीएपी और काम्पलेक्स खाद की उपलब्धता तो है। यहां पर यूरिया का स्टॉक समाप्त हो गया है। जिसके चलते मंगलवार को एक दर्जन से अधिक किसान यहां से बैरंग ही लौटे। किसानों का कहना है कि खेतों में धान की फसल पक रही है। इसके बाद रबी का सीजन आ जाएगा। रबी की बोवाई के समय किसानों के पास इतना समय नहीं रहेगा कि वे खाद के लिए यहां से वहां भटकें। एडवांस में खाद रखना चाह रहे हैं तो यूरिया ही नहीं मिल रही है। विभागीय अधिकारी जानबूझकर किसानों को परेशान कर रहे हैं।

विजयराघवगढ़: मंहगें दामों में बिक्री

विजयराघवगढ़ और बरही के समितियों में तो किसी तरह से खाद की कमीं नहीं है, लेकिन ऐसे किसान जिनके पास निर्धारित दस्तावेज नहीं हैं और उन्हें अधिक खाद की आवश्यकता  है तो वे प्राइवेट दुकानों से मंहगें दामों में खाद खरीदने को मजबूर हैं। शासन ने यूरिया का रेट 269 रुपए प्रति बोरी का भाव रखा है। इसके बावजूद एक बोरी के लिए किसानों को 350 रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं। इसी तरह से 1300 से 1350 रुपए के डीएपी खाद के लिए किसान अपनी जेब से 1600 रुपए तक खर्च कर रहे हैं। निगरानी का जिम्मा कृषि विभाग के पास है। इसके बावजूद कृषि विभाग के अधिकारी व्यापारियों को मनमानी करने का छूट दे रखे हैं।

स्लीमनाबाद: क्षेत्र में नहीं जा रहे अफसर

खाद की पर्याप्त उपलब्धता और रेट कंट्रोल करने का अधिकार कृषि विभाग के पास है। इसके बावजूद अभी तक अफसर मैदान में नहीं निकल पाए हैं। यह स्थिति पिछले वर्ष भी बनीं थी, अफसर मैदान में तब निकले थे, जब किसानों ने इसकी शिकायत जनप्रतिनिधियों के माध्यम से कराई थी। बताया तो यह जा रहा है कि कृषि विभाग में कुछ पुराने कर्मचारी ऐसे हैं, जो स्थानांतरण के बाद भी जमी-जमाई कुर्सी का मोह नहीं छोड़ पाए।

बाद में अपनी पहुंच का फायदा

उठाते हुए वे स्थानांतरण निरस्त करते हुए उसी कुर्सी में बैठे रहे। जिसका परिणाम यह है कि परदे के पीछे से यह सिंडिकेट पूरे जिले में ही पूरी तरह से मनमानी पर उतारु है।

इनका कहना है

बहोरीबंद में यूरिया के कमीं की जानकारी रविवार को लगी थी, फिलहाल सभी जगहों पर यूरिया के साथ अन्य तरह के खादों की उपलब्धता है। विजयराघवगढ़ या फिर अन्य जगहों पर यदि मंहगें दामों में खाद का विक्रय किया जा रहा है तो टीम को भेजकर जांच कराई जाएगी।
- ए.के.राठौर, उपसंचालक कृषि विभाग कटनी 
 

Tags:    

Similar News