फडणवीस को उम्मीद, कांग्रेस के दबाव में नहीं आएगी शिवसेना, मलिक बोले- हर मसले पर समान विचार संभव नहीं
फडणवीस को उम्मीद, कांग्रेस के दबाव में नहीं आएगी शिवसेना, मलिक बोले- हर मसले पर समान विचार संभव नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर शिवसेना के बदलते रुख पर विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या शिवसेना कांग्रेस पार्टी के दबाव में इन मुद्दों पर अचानक अपना रुख बदल रही है? मुझे भरोसा है कि शिवसेना किसी के दबाव में नहीं झुकेगी और अपने पुराने रुख पर कायम रहेगी। मंगलवार को विधानभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में फडणवीस ने इतने दिनों बाद भी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा न होने पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि इतने दिन बीत गए फिर भी सरकार कुछ नहीं कर रही है। न मंत्रिमंडल विस्तार हुआ और न ही विभागों का बंटवारा। सिर्फ यही सुनाई दे रहा है कि सरकार ने कई परियोजनाओं का काम रोक दिया है।
हर मसले पर समान विचार रखना संभव नहीः मलिक
उधर शिवसेना द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन पर कांग्रेस की अपेक्षा राकांपा ने कड़ा रुख अपनाने से परहेज किया है। राकांपा ने महाराष्ट्र में अपने गठबंधन साझेदार शिवसेना के लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) का समर्थन करने पर कहा कि दोनों पार्टिया अलग हैं और उनके लिये हमेशा सभी मुद्दों पर समान विचार रखना संभव नहीं है। राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने मंगलवार को कहा कि सत्ताधारी दल यह सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध हैं कि महाराष्ट्र में किसी के साथ भी धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव न हो। प्रदेश कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने भी कहा कि भले ही शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया हो, लेकिन उम्मीद है कि उद्धव ठाकरे नीत पार्टी राज्य में शासन चलाते समय साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) का पालन करेगी। राकांपा ने इससे पहले नागरिकता संशोधन विधेयक को "संविधान-विरोधी" करार देते हुए कहा था कि केन्द्र सरकार इसका इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिये कर रही है। मलिक ने कहा, "हम दो अलग-अलग पार्टियां है। राज्य में शासन की बात करें तो हमारे बीच कुछ मुद्दों पर सहमति है। बिहार के दो सहयोगियों ने भी कुछ मुद्दों पर अलग रुख अपनाया है। मलिक का इशारा स्पष्ट रूप से बिहार में सत्तारूढ़ जद (यू) और भाजपा की ओर था, जिनका जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर अलग-अलग रुख है।
शिवसेना ने किया न्यूनतम साझा कार्यक्रम का उलंघनः खान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री नसीम खान ने कहा कि शिवसेना के इस फैसले से ऐसा लग रहा है कि वह अब भी अप्रत्यक्ष तौर पर भाजपा के साथ है। कांग्रेस नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शिवसेना और राकांपा को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया है। अब शिवसेना भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए छोड़ चुकी है और महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार किया गया है। ऐसी स्थिति में नागरिक संशोधन विधेयक पर शिवसेना ने अपने मित्र दलों को क्यो विश्वास में नहीं लिया? पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खान ने कहा कि नागरिक संशोधन विधेयक देश के संविधान के खिलाफ है। इसके बावजूद शिवसेना का समर्थन करना अनैतिक है। इससे प्रतित होता है कि शिवसेना ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम का उलंघन कर अप्रत्यक्ष रुप से भाजपा का समर्थन किया है। इस लिए इस मामले में शिवसेना को अपनी भूमिका साफ करनी चाहिए। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवाई ने भी शिवसेना की भूमिका पर नाराजगी जताई है।