काटोल-नरखेड़ तहसील में फसलों को भारी नुकसान

आफत की बारिश - काटोल-नरखेड़ तहसील में फसलों को भारी नुकसान काटोल-नरखेड़ तहसील में फसलों को भारी नुकसान

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-10 10:38 GMT
काटोल-नरखेड़ तहसील में फसलों को भारी नुकसान

डिजिटल डेस्क, काटोल। गत दो-तीन दिनों से जारी लगातार बारिश के चलते काटोल तहसील में  खड़ी सोयाबीन, कपास, तुअर की फसल के साथ ही फूलगोभी, टमाटर व अन्य सब्जियों को भारी नुकसान पहुंचा। वहीं संतरा-मौसंबी के पेड़ से  फल गल कर नीचे गिर गए। तहसीलदार अजय चरडे, तहसील कृषि अधिकारी सुरेश कन्नाके, बीडीओ पाटील ने जिलाधिकारी नागपुर को काटोल में बुधवार को हुए नुकसान की प्राथमिक रिपोर्ट भेजी। इसमें एक मवेशी की मौत, 275 कच्चे मकान ढहने, 12 गाैशाला का नुकसान, 715 हेक्टेयर कपास, 177 हेक्टेयर सोयाबीन, 24 हेक्टेेयर में तुअर, 12 हेक्टेयर संतरा, 23 हेक्टेयर मौसंबी, 70 हेक्टेयर सब्जी-भाजी व अन्य 31 हेक्टेयर ऐसे कुल 1052 हेक्टेयर क्षेत्र में नुकसान की जानकारी दी गई है। जाम नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी के किनारे के खेत जलमग्न हो गए। तहसील के दिग्रस, मसाली   ग्राम में भारी असर दिखाई दिया। नुकसान का सर्वेक्षण करने के निर्देश  तहसीलदार अजय चरडे ने दिए।

किसानों पर दोहरी मार

कभी बारिश की कमी तो कभी अतिवृष्टि के चलते किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। गत दो-तीन साल से सोयाबीन, कपास व तुअर की फसल पर विभिन्न प्रकार के कीड़ों का प्रभाव से फसल बर्बाद हो रही थी। इस वर्ष स्थिति थोड़ी बेहतर थी, तो अतिवृष्टि से फसल चौपट हो गई। फसल नुकसान का सर्वे कर जल्द किसानों को मुआवजा देने की मांग भारतीय जनता पार्टी जिला उपाध्यक्ष तथा नगर परिषद सत्ता पक्ष नेता चरण सिंह ठाकुर ने की है। वहीं भारी बारिश के चलते बुधवार को काटोल शहर के झोपड़पट्टियों में पानी घुस गया। इससे कई लोगों के घरों में राशन व अन्य सामग्री खराब हो गई। नगराध्यक्ष वैशाली ठाकुर, उपाध्यक्ष सुभाष कोठे, मुख्याधिकारी धनंजय बोरीकर, नितीन गौरखेड़े, राजेंद्र काले ने  परिसर में भेंट देकर सांत्वना दी। साथ ही लोगों के रहने व खाने की व्यवस्था नगर परिषद की ओर से की गई। गुरुवार को तहसील कृषि अधिकारी सुरेश  कन्नाके व समस्त कृषि सहायक तथा अधिकारियों ने तहसील के नुकसानग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया।

रामपुरी गांव सबसे ज्यादा प्रभावित

उधर नरखेड़ की बीत करें तो, पिछले तीन- चार दिन से समूचे तहसील में जारी मूसलाधार बारिश के चलते किसानों के खेत जलमगन हो जाने से खड़ी फसलें पीली पड़ने लगी है। वहीं नदी-नाले लबालब हो जाने से समीपस्थ खेत तालाब में तब्दील हुए दिखाई दे रहे हैं। अब अतिवृष्टि से किसानों पर  खड़ी फसलें चौपट होने का खतरा मंडराने लगा है। इससे पहले  सोयाबीन की फसल पर खोड़मासी, येलोमोजाक रोग से प्रभावित होने से मुहाने पर आई सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई। जिसके कारण तहसील के किसानों को अपनी खड़ी सोयाबीन की फसलों पर रोटावेटर चलाना पड़ा। कपास की फसल से किसानों को आशा थी, मात्र इस पर भी लाल्या, बोंडइल्ली जैसे रोग से कपास का उत्पादन घट गया। ऐसे में शासन ने सर्वेक्षण के आदेश दिए। फसलों का सर्वेक्षण तो हुआ, लेकिन अब तक शासन द्वारा किसानों को किसी भी तरह की आर्थिक मदद मुहैया नहीं हो पाई। इस वर्ष पिछले  तीन- चार दिनों से जारी मूसलाधार बारिश के कारण खेती जमीन से बारिश का पानी रिझने लगा है। कई खेत तालाब बन गए। बुधवार 8 सितंबर को हुई भारी बारिश के  चलते नरखेड़ तहसील के अाखिरी छोर पर बसे रामपुरी ग्राम के किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गई। उक्त ग्राम  नदी से सटा तथा अधिकांश किसानों की खेती नदी के समीपस्थ है। बुधवार की रात करीब 3 बजे नदी में आई बाढ़ का पानी किसानों के खेत में घुसने से तुअर, मूंगफल्ली, कपास, सोयाबीन आदि खड़ी फसलें बह गई, तो कई फसल बड़े पैमाने पर जमा गारे के नीचे दब गई। जिसके चलते कुल 50 एकड़ में फैली खड़ी फसलें बर्बाद हो गई। रामपुरी के किसान रवि बागडे, नयन वानखेड़े, मधुकर इंगोले, श्रावण बागडे आदि ने शासन द्वारा पंचनामा कर जल्द ही आर्थिक मदद मुहैया कराने की मांग की है। 

 

 

 

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