निर्माण में खामी... ढहकर मलबे में तब्दील हुई पेंच की बायीं तट मुख्य नहर

छिंदवाड़ा निर्माण में खामी... ढहकर मलबे में तब्दील हुई पेंच की बायीं तट मुख्य नहर

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-27 12:47 GMT

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। पेंच परियोजना की बायीं तट मुख्य नहर इस बारिश में फिर ढह गई है। नहर का करीब ७०० मीटर का हिस्सा ढहकर मलबे में तब्दील हो गया है। यह तीसरा मौका है जब नहर ढही है। पिछले साल गर्मी के दिनों में करोड़ों खर्च कर नहर की मिट्टी उठाकर दोनों छोर पर रखी गई थी। बेड लेवल पर १२ और ऊपर १८ मीटर तक चौड़ी नहर को स्टेप के आकार में खड़ा किया गया था। इसके बाद जरा सी बारिश में नहर ढह गई थी। नवंबर २०२१ में मलबा हटाकर जैसे तैसे नहर से सिंचाई हो पाई थी। अब इस बारिश में फिर नहर बर्बाद हो गई है। यानी आने वाले नवंबर तक मिट्टी नहीं हटाई तो रबी सीजन में उक्त नहर से सिंचाई कठिन हो जाएगी।
आखिर बार-बार क्यों ढह रही नहर:
बायीं तट मुख्य नहर में कपुर्दा के पास जिस स्थान पर नहर के बार-बार धंसने की स्थिति बन रही है, वहां लाल व चिकनी मिट्टी है। उक्त मिट्टी जरा सी बारिश में ही घुल जाती है। यह समस्या पिछले तीन साल से देखी जा रही है। बड़ा सवाल यह कि मिट्टी का ट्रीटमेंट क्यों नहीं कराया गया। जानकारों के मुताबिक जियोलॉजिस्ट से परीक्षण और ट्रीटमेंट के बाद नहर बनाई जाती तो उक्त स्थिति नहीं बनती।
कैसे हो सकता है समस्या का हल:
अब खुद विभाग के अधिकारी लेफ्ट बैंक मुख्य नहर के उक्त सेक्शन में आरसीसी वॉल की बता कर रहे हैं। आरसीसी बॉक्स बनाने का प्रस्ताव दो साल पहले भेजा जा चुका है। जिस पर विभाग की ही डिजाइन विंग बोधी भोपाल को एप्रूवल देना है। अब तक बोधी ने मार्गदर्शन नहीं दिया है, जिससे समस्या का स्थाई हल नहीं निकल पाया है।
कुल २० किमी है लेफ्ट बैंक केनाल की लंबाई:
पेंच परियोजना की मुख्य नहर एलबीसी की लंबाई २० किमी है। जिसमें आरडी १९.५ किमी पर पास नहर के धंसने की स्थिति बनी हुई है। कपुर्दा रोड क्रासिंग तक करीब ७ सौ मीटर के हिस्से में लाइनिंग वाली नहर धंस चुकी है। दोबारा स्टेप आकार में निर्माण भी सफल नहीं हो सका है।
इनका कहना है...
रबी की सिंचाई के लिए नहर से मलबा हटाया जाएगा। समस्या के स्थाई हल के लिए बोधी से मार्गदर्शन लिया जा रहा है। आरसीसी बॉक्स बनाने का प्रस्ताव है, इससे पहले चूना, चूरी और बोल्डर से काम्पेक्शन किया जाएगा। जिससे धंसने की स्थिति न बने।

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