डायन बता सगी बहनों की पिटाई से मौत के मामले में 11 को हुई उम्रकैद
डायन बता सगी बहनों की पिटाई से मौत के मामले में 11 को हुई उम्रकैद
डिजिटल डेस्क, नाशिक। जिला और सत्र जस्टिस यूएम नंदेश्वर ने डायन होने के आरोप में सगी बहनों की पिटाई कर उन्हें मौत के घाट उतारने के मामले में इगतपुरी तहसील के टाके हर्ष निवासी 11 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इनमें मृतक महिला के दो लड़के भी शामिल हैं। मंगलवार को महाराष्ट्र नरबली व अन्य अमानवीय, अनिष्ट अघोरी प्रथा व जादूटोना विरोधी कानून, 2013 के अंतर्गत यह सजा सुनाई गई है। इस संबंध में घोटी पुलिस थाने में महाराष्ट्र जादूटोना विरोधी कानून के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। सुनवाई जिला व सत्र न्यायालय में हुई।
इन्हें सुनाई गई सजा
जस्टिस यूएम नंदेश्वर ने आरोपी इगतपुरी तहसील के टाके निवासी बच्चीबाई खडसे, बुग्गी वीर, लक्ष्मण निरगुडे, नारायण खडसे, वामन निरगुडे, किसन निरगुडे, गोविंद दोरे, काशीनाथ दोरे, महादू वीर, हरी निरगुडे, सनीबाई निरगुडे को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सरकारी वकील के रूप में पूर्णिमा नाईक व दीपशिखा भिड़े ने पैरवी की। मामले की जांच तत्कालीन उपविभागीय अधिकारी सी एस देवराज ने की थी।
क्या है मामला ?
अक्टूबर 2014 में आदिवासी गांव टाके हर्ष में यह मामला उजागर हुआ था। जिसमें तांत्रिक महिला बच्चीबाई खड़से ने दो भाइयों काशीनाथ व गोविंद दोरे को बहकाया कि उनके घर में मौजूद वृद्धाओं के डायन होने के चलते उन्हें सुख-शांति नसीब नहीं है, पैसा रुकता नहीं है। इस पर दोनों ने गांव के ही कुछ लोगों के साथ मिलकर अपनी मां बुगीबाई पुनाजी दोरे एवं उसकी बहन व सास मोखाड़ा निवासी काशीबाई भिका वीर की हत्या कर दी थी। इसके बाद दोनों के शव डहालेवाड़ी के एक खेत में दफन दिए गए थे। अपनी मां की आंखें फोड़ दी थीं। उन्होंने अपनी बहन को भी मारने का प्रयास किया, लेकिन वह बच निकली थी।