दुष्कर्म के बाद महिला की हत्या के मामले में दोषी पाए आरोपी को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा
दिंडोशी सत्र न्यायालय दुष्कर्म के बाद महिला की हत्या के मामले में दोषी पाए आरोपी को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। दिंडोशी सत्र न्यायालय ने दुष्कर्म के बाद बर्बरतपूर्ण ढंग से महिला की हत्या के मामले में दोषी पाए गए 45 वर्षीय आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सिर्फ नौ महीने के भीतर सुनवाई को पूरा कर आरोपी को यह सजा सुनाई है। आरोपी मोहन चव्हाण ने सितंबर 2021 में साकीनाका में एक टैंपो में 34 वर्षीय महिला के साथ क्रूरतापूर्ण ढंग से दुष्कर्म किया था। इसके बाद महिला की अस्पताल में उपचार के बाद मौत हो गई थी। आरोपी के इस बर्बरपूर्ण कृत्य ने न सिर्फ लोगों को एक बार फिर से दिल्ली के साल 2012 के निर्भयाकांड की याद दिला दी थी बल्कि पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी। क्योंकि जांच के दौरान खुलासा हुआ था कि आरोपी ने दुष्कर्म के बाद पीड़िता के गुप्तांग में लोहे की सरिया डाल दी थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एचसी शेंडे ने आरोपी चव्हाण को इस मामले में 30 मई को भारतीय दंड संहिता की धारा 302(हत्या), 376 (दुष्कर्म) व जाति उत्पीड़न कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था और एक जून को आरोपी की सजा तय किए जाने के मुद्दे पर बहस रखी थी। बुधवार को आरोपी की सजा तय करने को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करनेवाले विशेष सरकारी वकील महेश मुले ने आरोपी चौहान को फांसी की सजा सुनाने की मांग की थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपी ने काफी जघन्य अपराध किया है। उसका अपराध विरलतम मामले की श्रेणी में आता है। लिहाजा आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाए। इन दलीलों के मद्देनजर न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मौजूदा मामला विरलतम से विरलतम मामलों की श्रेणी में आता है। इसलिए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाती है।
आरोपी की क्रूरता को दर्शानेवाली दलीलों का न्यायाधीश ने लिया संज्ञान
इस दौरान न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष की ओर से दी गई उस दलील का भी संज्ञान लिया जिसके तहत कहा गया था कि आरोपी चौहान ने पीडिता को दुष्कर्म के बाद इस कदर चोटिल किया था कि पीड़िता के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। क्योंकि आरोपी की ओर से बरती गई क्रूरता के चलते पीड़िता की आते बूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। जबकि उसका पाचनतंत्र भी पूरी तरह से नष्ट हो गया था।
न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष की उस दलील पर भी गंभीरता से गौर किया जिसके तहत विशेष सरकारी वकील मुले ने दावा किया था कि आरोपी का कृत्य महिला के विरुद्ध अपराध है। वो भी ऐसी महिला जो अनुसूचित जाति से आती है। इस लिहाज से आरोपी का कृत्य काफी गंभीर हो जाता है। आरोपी ने असहाय व अकेली महिला पर रात के समय क्रूरतापूर्ण हमला किया है। जो मुंबई जैसे महानगर में महिलाओं में सुरक्षा को लेकर भय पैदा करता है। इन दलीलों के मद्देनजर कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई। आरोपी के पास इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती देने का विकल्प है। जबकि राज्य सरकार को सुनाई गई सजा को पुष्ट करने के लिए अपील करनी होगी। क्योंकि सत्र न्यायालय की ओर से आरोपी को दी जानेवाली फांसी की सजा हाईकोर्ट की पुष्टी के आधीन होती है।
18 दिनों में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ दायर किया था आरोपपत्र
गौरतलब है कि 10 सितंबर 2021 को महानगर के साकीनाका इलाके में पीड़िता के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। इसके बाद पुलिस ने पीड़िता को मुंबई के राजावाडी अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस ने वारदात के कुछ घंटे बाद ही आरोपी चौहान को गिरफ्तार कर लिया था। और फिर 18 दिनों में आरोपी के खिलाफ कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया था। राज्य सरकार ने इस मामले में पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता राजा ठाकरे व अधिवक्ता मुले को विशेष सरकारी वकील के रुप में नियुक्त किया था।