दो वक्त की रोटी की थी दरकार, 102 साल की उम्र दराज महिला के घर भगवान बनकर पहुंचे कलेक्टर
मिलेगी पेंशन दो वक्त की रोटी की थी दरकार, 102 साल की उम्र दराज महिला के घर भगवान बनकर पहुंचे कलेक्टर
डिजिटल डेस्क, अहमदनगर। कच्चे मकान की चौखट पर बैठी इस बुजुर्ग महिला की खुशी का आज ठिकाना नहीं था, मंगलवार को जिले के कलेक्टर डॉ. राजेंद्र भोसले ने अचानक उसकी दहलीज पर आकर अपना परिचय दिया, साथ ही सवाल पूछा कि दादी आपकी तबियत कैसी है, किसी चीज की कोई जरूरत तो नहीं? बस कलेक्टर साहब के यह चंद बोल सुनते ही बूढ़ी आंखें नम हो गई, उसे लगा की मानो मदद का हाथ बढ़ाने स्वयं भगवान उसके घर आ गए हों। जिलाधिकारी के साथ अकोले के तहसीलदार सतीश थिटे और उप तहसीलदार गणेश मालवे भी मौजूद थे।
खुशी के आंसू पोंछते हुए राहीबाई भांगरे नामक बुजुर्ग ने कलेक्टर साहब को अपना दर्द बयान किया। 102 साल की राहीबाई चल फिर नहीं सकती। बीमारी और बढ़ती उम्र की वजह से उसका शरीर कमजोर हो रहा है, घर में एक बेटी है, जिसका नाम सीताबाई सुपे और उम्र भी 75 साल है। कुछ साल पहले सीताबाई के पति की मौत हो गई थी। वो अपनी मां के साथ ही रह रही है। जैसे-तैसे कर उनकी गुजर बसर हो रही है, लेकिन प्रशासन को जब इस बात की जानकारी मिली, तो कलेक्टर खुद उसके गांव आ गए, उन्होंने महिला का हाल जाना, बात सुनी, खास बात है कि उन्होंने बुजुर्ग महिला को दिलासा ही नहीं दिया, बल्कि सरकारी योजना के तहत महिला और उसकी बेटी को पेंशन देने की व्यवस्था भी कर दी। जिससे दो जून की रोटी नसीब हो सकेगी।
उम्र के इस आखिरी पढ़ाव में राहीबाई भांगरे को शायद महिला दिवस का गिफ्ट भी मिल गया, अब घर में दो वक्त चूल्हा जलेगा। लौटते वक्त कलेक्टर साहब ने महिला को अंगूर भेेंट किए, लेकिन बात अभी यहां खत्म नहीं हुई, जिला अधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जिले में वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन को लेकर लापरवाही नहीं बरती जाए।
अकोले तहसील प्रशासन की बैठक में उन्होंने साफ कहा कि जरूरतमंदों को वक्त पर पेंशन मिल रही है कि नहीं इसकी भी नियमित जांच करें। पेंशन में धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज किया जाए।