मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा पर आदिवासी परिवारों के साथ छलावा
जैतपुर के नीमच गांव में 2 माह बाद भी नहीं बदला बिजली ट्रांसफार्मर मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा पर आदिवासी परिवारों के साथ छलावा
डिजिटल डेस्क,शहडोल। जैतपुर तहसील मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत सेजहाई के गांव नीमच में बिजली का ट्रांसफार्मर खराब होने के 2 माह बाद भी नहीं बदला गया। इससे सौ से ज्यादा आबादी वाले गांव के सैकड़ों आदिवासी परिवारों की रात अंधेरे में कट रही है। बिजली की समस्या से विभाग के अधिकारियों को अवगत कराने से लेकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करवाने के बाद भी समस्या दूर नहीं हुई। बिजली विभाग के जैतपुर सबस्टेशन के जूनियर इंजीनियर लखन सोनी यह कहकर जवाबदेही से पल्ला झाड़ ले रहे हैं कि गांव में बिजली का बिल बकाया है। दूसरी ओर गांव के लोगों का कहना है कि 14 हजार रुपए बकाया बिजली बिल में 7 हजार जमा हो गया है। बिल उन लोगों का बकाया है जो गांव में नहीं रहते, ऐसे में उन ग्रामीणों का क्या दोष जो हर माह बिजली बिल जमा कर रहे हैं।
ऐसे समझें ग्रामीणों की परेशानी
> नल-जल योजना नहीं चलने से आदिवासी परिवार नदी नाले से निस्तार का पानी लाने विवश हैं।
> मोबाइल बंद हो जाने से चिकित्सा इमरजेंसी में 108 व पुलिस को बुलाने के लिए डायल 100 पर फोन नहीं लगा पा रहे हैं।
> बारिश कम होने से खेतों की सिंचाई करने वाले किसानों के लिए भी बंद ट्रांसफार्मर समस्या बन गई है।
> रात के समय गांव के समीप तक वन्यप्राणी आ जाते हैं, अंधेरे के कारण अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा की चिंता बनी रहती है।
गांव में बिजली बिल उन लोगों का बकाया है जो यहां नहीं रहते हैं, ऐसे में उन ग्रामीणों का क्या कुसूर है जो हर माह समय पर बिजली बिल जमा कर रहे हैं। विभाग को उन सैकड़ों उपभोक्ताओं के लिए जल्द ट्रांसफार्मर बदलनी चाहिए। (संजय सिंह ग्रामीण)
बिजली नहीं होने के कारण रात में छोटे बच्चे सो नहीं पाते हैं। बिजली विभाग ने तो जैसे मनमानी की चादर ओढ़ ली है। विभाग में नौकरी करने वाले इंजीनियर और दूसरे कर्मचारियों को आदिवासी परिवारों की समस्या से कोई सरोकार नहीं है।
(फूलमति पलीहा ग्रामीण)
गांव वालो का बिल बकाया है तो कैसे ट्रांसफार्मर बदल दें। हम तो बिजली विभाग का ही नियम मानेंगे। अब ये गांव वाले तय करें। उन्हे बिजली चाहिए तो आधा नहीं पूरा बकाया जमा होना चाहिए। (लखन सोनी जूनियर इंजीनियर जैतपुर, शहडोल)