नकली झंडू बाम बेचने वाले दो पर मामला दर्ज, नागपुर के व्यक्ति ने की थी शिकायत

आर्णी नकली झंडू बाम बेचने वाले दो पर मामला दर्ज, नागपुर के व्यक्ति ने की थी शिकायत

Bhaskar Hindi
Update: 2022-10-11 14:52 GMT
नकली झंडू बाम बेचने वाले दो पर मामला दर्ज, नागपुर के व्यक्ति ने की थी शिकायत

डिजिटल  डेस्क, यवतमाल।  आर्णी शहर में नकली झंडू बाम बेचे जाने की शिकायतें मिलने के बाद  एक एजेंसी से जांच करवाई तो शहर के 2 दुकानों में  नकली झंडू बाम बेचे जाने की पुष्टि हुई। इन दोनों के खिलाफ नागपुर के आईपी इनवेस्टीगेशन एन्ड डिटेक्टिव सर्विस प्रा.लि. के निराला हाउसिंग सोसायटी, निवासी अल्ताफ रोशन शेख (49) ने शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने दोनों दुकानदारों पर मामला दर्ज किया। घटना आर्णी शहर में 8 अक्टूबर को उजागर हुई है। आारोपियों के नाम श्रीधर ठाकरे (50) और मंगेश अडगुलवार (46) बताए जाते हैं। दोनों दुकानदारों के दुकानों में पवनसुत किराना और राजेश्वर प्रोविजन शामिल हैं। जानकारी के अनुसार इन दुकानदारों द्वारा यह नकली  झंडू बाम बेचे जाने की जानकारी मिली थी। इससे नागपुर से आर्णी शहर पहुंचकर इन दुकानों से पहले झंडूबाम खरीदा गया। बाद में जांच करवाई गई तो यह बाम नकली पाया गया। पवनसुत किराना दुकान की तलाशी ली। वहां पर 34 छोटी बोतल झंडू बाम की पायी गई। इसमें से 15 नकली निकली। इसका अर्थ यही निकाला गया कि दुकानदारों को बखूबी बता था कि नकली झंडू बाम भी ऐसे ग्राहकों को बेचा जा सकता है जो सजग नहीं हंै। उसके बाद राजेश्वर प्रोविजन में जांच करने पर वहां नकली 13 झंडूबाम मिले। इन दोनों दुकानों से कुल 28 झंडूबाम नकली पाए गए। प्रति झंडू बाम 40 रुपए के हिसाब से इस माल की कीमत  1120 रुपए हुई। इस प्रकार नकली झंडूबाम बेचकर ग्राहकों को ठगा जा रहा था। यह कॉपीराइट उल्लंघन का मामला होने की बात शिकायत में दर्ज है। आर्णी पुलिस ने चिखली ईजारा निवासी श्रीधर ठाकरे और चिंतावार ले आउट  निवासी नागेश अडगुलवार के खिलाफ भादंवि की धारा 420 समेत अन्य धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया है। मामले की जांच थानेदार पिंताबर जाधव के मार्गदर्शन चल रही है। 

मामले की जांच की जा रही है 

पितांबर जाधव, थानेदार आर्णी के मुताबिक जांच में पाया गया कि यह बोतल जब तक खोली नहीं जाती तब तक झंडू बाम असली है या नकली यह बताना संभव नहीं है। असली झंडूबाम सफेद दिखता है तथा नकली थोड़ा सा मैला रहता है।  इसके बाद इसे सूंघकर भी असली नकली का फर्क समझा जा सकता है। इस मामले मंे कई मछलियां सामने आ सकती हैं। इससे दुकानदारों ने यह उत्पादन कहां से खरीदा इसकी जानकारी लेना शुरू है। उसके बाद आपूर्ति धारक तथा निर्माणकर्ता को भी आरोपी बनाया जाएगा।

 
 

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