कोल वॉशरीज के लिए निकाले गए टेंडर पर रोक, मेडिकल कॉलेज में 70-30 कोटा भी रद्द करना चाहती है सरकार

कोल वॉशरीज के लिए निकाले गए टेंडर पर रोक, मेडिकल कॉलेज में 70-30 कोटा भी रद्द करना चाहती है सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-03 14:59 GMT
कोल वॉशरीज के लिए निकाले गए टेंडर पर रोक, मेडिकल कॉलेज में 70-30 कोटा भी रद्द करना चाहती है सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोल वॉशरीज के लिए निकाले गए टेंडर प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है। प्रधान सचिव की अगुआई में एक महीने के भीतर इस मामले की जांच कर फैसला लिया जाएगा। उद्योग व खनन मंत्री सुभाष देसाई ने विधानसभा में यह बात कही। राकांपा के धर्मरावबाबा आत्राम, सुभाष धोटे, कांग्रेस के विकास ठाकरे आदि सदस्यों ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले वॉश कोल का टेंडर निकालने और मंहगे दर पर इसे मंजूर करने का मुद्दा उठाया था। सदस्यों के सवालों के जवाब देते हुए मंत्री देसाई ने कहा कि फिलहाल गुणवत्ता के आधार पर जांच के बाद आगे फैसला किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राज्य खनिकर्म महामंडल ने बिजली बनाने वाली सरकारी कंपनी महाजेनको को औष्णिक विद्युत केंद्र के लिए लगने वाले उच्च दर्जे के कोयले की आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी थी। खानों से निकलने वाले कोयलो को वॉशरीज के जरिए अच्छी गुणवत्ता का बनाया जाता है जिससे प्रदूषण में कमी आए। महाजेनको ने महाराष्ट्र राज्य खनिकर्म महामंडल (एमएसएमसी) को नोडल एजेंसी नियुक्त कर उसके जरिए टेंडर निकाला था। सरकार के मुताबिक टेंडर हासिल करने वाली कंपनी ने नीलामी प्रक्रिया के जरिए इसे हासिल किया है इसलिए इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। 

मेडिकल कॉलेज में 70-30 कोटा रद्द करना चाहती है सरकार

मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राज्य में लागू 70-30 कोटा मामले की फिलहाल अदालत में सुनवाई चल रही है। लेकिन इसे रद्द करने की मांग को लेकर सरकार सकारात्मक है और अपनी भूमिका अदालत में रखेगी। मेडिकल शिक्षा मंत्री अमित देशमुख ने विधानसभा में यह जानकारी दी। मराठवाडा और विदर्भ के विद्यार्थियों के साथ इस कोटा सिस्टम के चलते हो रहे नुकसान का मुद्दा उठाते हुए भाजपा की मेधना बोर्डीकर, सुधीर मुनगंटीवार, शिवसेना के कैलाश घाडगे, ज्ञानराज चौगुले, डॉ राहुल पाटील आदि सदस्यों ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए सदन का ध्यान इस मुद्दे पर खींचा था। जवाब में मंत्री देशमुख ने स्वीकार किया कि 70-30 कोटा सिस्टम से विदर्भ और मराठवाडा के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को नुकसान हो रहा है। महाराष्ट्र देश का इकलौता राज्य है जहां इस तरह का कोटा सिस्टम लागू है। विद्यार्थियों के साथ हो रहा अन्याय खत्म करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठाएगी। देशमुख ने यह भी कहा कि मराठवाडा में सरकारी मेडिकल कॉलेज की कमी को देखते हुए हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की सरकार की नीति में मराठवाडा को प्राथमिकता दी जाएगी। देशमुख के जवाब से असंतुष्ट मराठवाडा और विदर्भ के सदस्यों ने आक्रामक रुख जारी रखा और सरकार से तुरंत इस मामले में फैसला करने की मांग की। इस पर देशमुख ने सभी सदस्यों के साथ बैठक कर मामले के हल पर विचार करने का भरोसा दिया। 70-30 कोटा सिस्टम के तहत 70 फीसदी सीटों पर स्थानीय विद्यार्थियों को दाखिला मिलता है जबकि 30 फीसदी सीटों पर दूसरे विभागों के विद्यार्थी दाखिला ले सकते हैं। मराठवाडा और विदर्भ इलाके में मेडिकल कॉलेजों की कमी से चलते यहां के विद्यार्थियों को दूसरे विभागों में प्रवेश में दिक्कत आती है। नुकसान उठाना पड़ता है। कोटे के चलते ज्यादा अंक हासिल करने के बावजूद मराठवाडा विदर्भ के विद्यार्थी प्रवेश से वंचित रह जाते हैं।  
 

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