आयुष्मान: 40 फीसदी के नहीं बना कार्ड उसमें भी महज 27 हजार मरीजों का ही हुआ उपचार
प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से वसूली आयुष्मान: 40 फीसदी के नहीं बना कार्ड उसमें भी महज 27 हजार मरीजों का ही हुआ उपचार
डिजिटल डेस्क,कटनी। आयुष्मान भारत योजना में प्रशासन की सुस्ती कहें या फिर हितग्राहियों को जानकारी का अभाव। जिसके चलते 4 वर्ष के अंतराल में भी लक्ष्य के मुताबिक अभी तक 40 फीसदी ऐसे लोग हैं जिनका कार्ड ही नहीं बन पाया है। उसमें भी इलाज लेने वालों की संख्या तो महज 27 हजार है। इनके इलाज में अभी तक 30 से 40 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
इसी बीच निजी अस्पतालों की मनमानी भी इसमें इस कदर हावी रही कि कार्ड होने के बाद भी मरीज और उनके परिजनों को निजी अस्पतालों में पैसे चुकाने पड़े। शिकायत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास भी पहुंची, लेकिन किसी भी शिकायत में अफसर अंजाम तक नहीं पहुंच सके। जिसका परिणाम है कि अस्पतालों में इलाज के नाम पर उधार या फिर अन्य वैकल्पिक व्यवस्था से रुपए चुकाने वाले परिजन आज भी न्याय की आश में यहां-वहां भटक रहे हैं।
85 हजार लेने जमा कराए, लापरवाही से बेटे की मौत
यह मामला हाल ही का है, जब एनकेजे थाना अंतर्गत रोशन नगर निवासी रामजी परौहा ने वर्धमान अस्पताल के विरुद्ध कलेक्टर और एसपी के साथ सीएमएचओ को शिकायत दर्ज कराई है। पिता का आरोप है कि इलाज के दौरान अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से उसके बेटे मनोज परौहा की मौत हो गई थी। इलाज के लिए लेकर जब वह अस्पताल पहुंचा था तो यहां पर आयुष्मान कार्ड से इलाज करने की बात अस्पताल प्रबंधन ने की थी। भर्ती करने के बाद डॉक्टर ने बताया कि 85 हजार रुपए लगेंगे। इसके बावजूद तीन किश्तों में तीस हजार रुपए उससे जमा कराए थे।
अस्पताल पर लग चुका है जुर्माना
धर्मलोक हास्पिटल की भी आयुष्मान कार्ड के संबंध में मनमानी उजागर हुई थी। यहां पर हितग्राही को लाभ नहीं मिला था। जिसके बाद उसने शिकायत की थी। स्वास्थ्य विभाग में बैठे डॉक्टर शिकायत पर नोटिस देते हुए खानापूर्ति करने का काम किए थे। बाद में यह शिकायत भोपाल स्तर पर पहुंची थी। जिसके बाद करीब 94 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया था। जुर्माने की राशि के संबंध में वसूली हुई कि नहीं, फिलहाल इसकी जानकारी को बताने में सीएमएचओ को पसीने छूट रहे हैं। जिससे वे मीडिया से ही दूरी बनाकर रखे हैं।
शिकायत पर चुप्पी
जीजी नर्सिंग होम में भी इसी तरह का मामला सामने आया था। आर्थिक रुप से कमजोर 80 वर्षीय फदाली राम पटेल यहां पर इलाज के लिए गए थे। जिसमें आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी इनको रुपए देने पड़े थे। जिसकी शिकायत इन्होंने कलेक्टर और सीएमएचओ से की थी, लेकिन आज यह मामला अस्पताल प्रबंधन और सीएमएचओ के बीच ही अधर में लटका है। सीएमएचओ कार्यालय द्वारा संबंधित अस्पताल प्रबंधन को नोटिस भी दिया गया था। इसी तरह से शंकर लाल विश्वकर्मा ने भी आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन द्वारा रुपए लेने के आरोप लगाए थे।
इनका कहना है
आयुष्मान कार्ड बनाने का काम चल रहा है। जिसके लिए शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगाए जा रहे हैं। कार्ड होने के बाद भी यदि अस्पतालों में शुल्क लिया जा रहा है और इसकी शिकायत होती है तो विधिवत रुप से जांच भी की जाती है। - डॉ.शैलेन्द्र दीवान,डीएचओ