सूचना के बाद नहीं मिली एम्बुलेंस, रास्ते में महिला की हुई डिलेवरी
कटनी सूचना के बाद नहीं मिली एम्बुलेंस, रास्ते में महिला की हुई डिलेवरी
डिजिटल डेस्क , कटनी ।संस्थागत प्रसव के दावे की पोल गुरुवार को बरही नगर में खुल गई। उमरिया जिला अंतर्गत असोठ निवासी रामवती बाई प्रसव दर्द से तड़पते हुई बस से बरही पहुंची। अस्पताल पहुंचने के पहले ही बीच रास्ते में महिला को तकलीफ हुई तो परिजन निजी स्कूल के समीप बैठकर 108 एम्बुलेंस को फोन लगाए। इसके बावजूद समय पर म्बुलेंस नहीं पहुंची, स्कूल के पीछे ही साथ में आए महिलाओं ने प्रसव कराया। प्रसव के बाद भी सरकारी सिस्टम में सुधार नहीं हुआ। साथ ही खराब सिस्टम को लेकर लोगों ने नाराजगी भी जताई।
दीवार की ओट का सहारा
महिला उमरिया से बाइक में अपने पति के साथ पहुंची हुई थी। सहारा देने के लिए महिला परिजन भी रामवती बाई के साथ रहे। यहां पर सरस्वती स्कूल के समीप परिजन एक निजी क्लीनिक में ले गए। निजी क्लीनिक से लौटते समय तेज दर्द हुआ। जिसके बाद गर्भवती महिला सडक़ किनारे ही बैठ गई। परिजन और आसपास की महिलाएं स्कूल के पीछे ले गईं। आधे घंटें बाद महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। सुरक्षित प्रसव होने पर परिजनों ने राहत की सांस ली। जबलपुर जाने की बात कंट्रोल रुम के कर्मचारियों ने परिजनों से कही बरही नगर का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आसपास के 50 गांवों से जुड़ा हुआ है। यहां पर बड़वारा के लोग भी इलाज कराने के लिए आते हैं। साथ ही सीमावर्ती उमरिया जिले के कई गांव भी इसी अस्पताल पर आश्रित हैं। इसके बावजूद एम्बुलेंस की उपलब्धता में लगातार लापरवाही बरती जा रही है। गुरुवार को जब बरही अस्पताल से परिजनों और स्थानीय लोगों ने एम्बुलेंस की मदद मांगी तो यहां से जवाब मिला कि उक्त एम्बुलेंस जबलपुर गई है। जिसके बाद परिजन और स्थानीय लोग असहाय होकर व्यवस्था को कोसते हुए नजर आए। स्थानीय लोगों का आरोप रहा कि यह पहला मामला नहीं है, बल्कि इस तरह के मामले हमेशा सामने आते रहते हैं।
जननी के नाम से स्वयं का भला
सुरक्षित और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के नाम पर चलाई जा रही जननी वाहन से अफसर स्वंय का भला कर रहे हैं। नियमों के मुताबिक गर्भवती महिला को अस्पताल लाने की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की रहती है। इसके बाद प्रसव होने के बाद भी महिलाओं को सुरक्षित रुप से घर एम्बुलेंस से भेजा जाता है, लेकिन यदि किसी गर्भवती महिला को अस्पताल तक पहुंचने के लिए एम्बुलेंस नसीब भी हो जाए तो भी डिलेवरी के बाद महिला को निजी वाहन से ही घर पहुंचना पड़ता है।
इनका कहना है
108 एम्बुलेंस का संचालन भोपाल और जिला स्तर के कंट्रोल रुम से होता है। यह बात सही है कि इससे परिजनों को परेशानी होती है। गुरुवार को प्रसूता के संबंध में एम्बुलेंस नहीं मिलने की जानकारी देरी से लगी। मौके पर निजी एम्बुलेंस भेजकर महिला को अस्पताल में लाते हुए भर्ती किया गया है।