कुशवार गांव का रहने वाला एक व्यक्ति बना ट्री मैन
मटके से सींच-सींच कर तैयार किए हजारों वृक्ष कुशवार गांव का रहने वाला एक व्यक्ति बना ट्री मैन
डिजीटल डेस्क, रीवा। इंसान अगर मन में ठान ले तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। रीवा जिले की सेमरिया तहसील के कुशवार गांव के शिवप्रसाद साकेत ने पहाड़ की बंजर भूमि में दिन-रात पसीना बहाकर इसे हरा-भरा कर दिया है। इस बंजर क्षेत्र में आज हजारों पेड़ नजर आते हैं। इनसे न सिर्फ पर्यावरण सुधार हो रहा है, बल्कि ये फल और छाया भी दे रहे हैं। शिवप्रसाद के इस काम में कई बाधाएं भी आईं। लेकिन वह हिम्मत नहीं हारा। आज उसकी पहचान ट्री-मैन के रूप में हो रही है।
संभागीय मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर कुशवार गांव से लगी बंजर भूमि पर बिना सरकारी मदद हजारों पेड़ तैयार करने वाले शिवप्रसाद का यह जुनून लोगों के लिए प्रेरणा है। जो काम लाखों-करोड़ों रूपये खर्च कर शासन और प्रशासन नहीं कर पाता, वह शिवप्रसाद ने अपने बुलंद हौसलें से कर दिखाया। सरकारी बंजर जमींन में अब हरा-भरा जंगल है। जहां सीताफल, आम, नीबू, अमरुद, शीशम, सागौन आदि के वृक्ष तैयार हैं। यहां पशु-पक्षियों का भी बसेरा है
नौ साल की अथक मेहनत -
शिवप्रसाद ने नौ साल पहले वर्ष 2013 में इसकी शुरूआत की। वह बताते हैं कि शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय कुशवार में पदस्थ शिक्षक राजेन्द्र सिंह का विशेष सहयोग है। उन्होंने पौधें उपलब्ध कराए। पौधों की सुरक्षा के लिए कुछ दूरी पर स्थित इंदारा से मटके और डिब्बे से पानी भरकर ले जाते थे, जिससे सिंचाई कर इन्हें तैयार किया गया। यहां एक हजार से ज्यादा पेड़ अब तैयार हैं। पेड़ लगाने का क्रम अभी भी रूका नहीं है।
जीवन के लिए यह जरुरी -
वृक्षों के महत्व को लेकर शिवप्रसाद कहते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को समझ में आ गया कि ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए ये कितने जरुरी है। गांव में प्रदूषण न हो और सबको अच्छा वातातरण मिले, इसलिए भी पेड़ लगाए। वृक्षों को पुत्र के समान माना गया है।
विरोध भी कम नहीं -
शिवप्रसाद को इस कार्य में काफी विरोध झेलना पड़ा। लोग सोंचते थे कि वह सरकारी जमीन पर कब्जे के लिए यह सब कर रहा है। वह बताता है कि लोग नुकसान कर देते थे। लेकिन वह हारा नहीं। इस कार्य में पत्नी राजकली बराबर सहयोग करती है। जिसकी बदौलत उसकी मेहनत सफल हुई।
शासन चाहे तो वह सेवा के लिए तैयार -
ट्री-मैन के रूप में अपनी पहचान रखने वाले शिवप्रसाद कहते है, कि शासन चाहे तो वह पांच साल में ऐसे ही हजारों वृक्ष और तैयार कर सकता है। शासन एक भूमि चिन्हित कर बाउंड्री आदि कराकर उसे दें, वह वहां वृक्षारोपण कर पेड़ तैयार कर पांच साल बाद शासन को सुर्पुद कर देगा।
राजेन्द्र का भी समर्पण -
पेड़-पौधों के लिए कुशवार गांव के राजेन्द्र सिंह का समर्पण भी देखते बनता है। उन्होंने विद्यालय से लेकर कुशवार मोड़ तक दोनों ओर वृक्षारोपण कराया था। यहां सौ से ज्यादा पेड़ अब तैयार हैं। वे विद्यार्थियों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। वे कहते हैं कि वृक्षों के बिना जीवन संभव नहीं है।