शिक्षा उपकर से छह वर्ष में मिले 5 करोड़, इसके बाद भी स्कूलों में बदहाली
शहर के 58 स्कूल होने थे स्मार्ट शिक्षा उपकर से छह वर्ष में मिले 5 करोड़, इसके बाद भी स्कूलों में बदहाली
डिजिटल डेस्क,कटनी। शहरी क्षेत्र के 58 स्कूलों को स्मार्ट बनाने की कवायद दो वर्षों में भी पूरी नहीं हो सकी है। यह स्थिति तब है जब नगर निगम के खाते में शिक्षा उपकर की करीब 5 करोड़ की राशि पड़ी है। दरअसल वर्ष 2018-19 में निजी स्कूलों की तरह शहरी और उससे आसपास के सटे गांवों में स्कूलों में प्रोजेक्टर, एलईडी, कम्प्यूटर के माध्यम से स्मार्ट पढ़ाई का सपना प्रशासन ने संजोया हुआ था। इसके लिए शिक्षा उपकर की राशि भी रही। जिसके बाद स्कूलों को चिन्हित करते हुए जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा नगर निगम को कार्ययोजना सौंपी थी। सबसे मजे की बात यह है कि दो वर्ष के अंतराल में जिला शिक्षा कार्यालय नगर निगम को दो-दो बार पत्र भी लिख चुका है। इस संबंध में निगम के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षा उपकर की राशि का उपयोग तो इन्फ्रास्ट्रक्चर में किया जा सकता है, लेकिन इस राशि से अन्य सामग्रियों की खरीदी की जा सकती है। इस संबंध में शासन का स्पष्ट निर्देश नहीं होने से यह काम रुका हुआ है।
पांच वर्षों की राशि-
वित्तीय वर्ष उपकर की राशि
2017-18 8467019
2018-19 87,57239
2019-20 8955000
2020-21 13786000
2021-22 16507000
मूलभूत सुविधाओं पर फोकस-
तीन वर्ष के अंतराल में स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं पर फोकस करने की बात अधिकारी बता रहे हैं। इसके बावजूद स्कूलों की तस्वीर नहीं बदल सकी है। पुरैनी माध्यमिक शाला में ही सुरक्षा की दृष्टि से बाउण्ड्री वाल बनाई गई थी। इसके अलावा अन्य जगहों पर किश्तों में ही काम हुआ है। जिसके चलते स्कूलों की सूरत और सीरत नहीं बदली है।
इस तरह से है अव्यवस्था,सुस्त गति से काम-
नगर पालिक निगम कटनी के अन्तर्गत सात शासकीय हाईस्कूल/हायर सेकेण्डरी विद्यालय तथा नगर पालिक निगम कटनी द्वारा तीन विद्यालय तथा 59 शासकीय प्राथमिक तथा माध्यमिक शालायें संचालित हैं। उपरोक्त हाई और हायर सेकेण्डरी विद्यालयों में करीब 3 हजार 500 तथा प्राथमिक/ माध्यमिक में करीब 5 हजार 500 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। दो हाईस्कूल/ हायर सेकेण्डरी स्कूल भवनविहीन हैं, जो कि माध्यमिक/ प्राथमिक शालाओं में संचालित हैं। एक वर्ष पहले की जानकारी के अनुसार नगर की उपरोक्त शालाओं में से 49 में बालक शौचालय है, 20 में नहीं हैं। 59 में बालिका शौचालय है, 10 में नहीं हैं। 22 में फर्नीचर है, 46 में नहीं हैं। 65 में स्वच्छ पेयजल हैं, चार में नहीं हैं। 59 शालाओं में पुस्तकालय है, 10 में नहीं हैं, 57 शालाओं में विद्युत सुविधा है, 12 में नहीं है तथा 11 में प्रयोगशालायें हैं।
दोबारा मुडक़र नहीं देखे कर्मचारी-
शहर के स्कूलों की बदहाली लिखने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ी गई। भवन जर्जर होते गए, लेकिन मरम्मत के नाम पर पिछले कई वर्षों से खानापूर्ति की इबारत लिखी गई। ताजा उदाहरण साधुराम उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय का परिसर ही है। यहां पर करीब दस वर्ष पहले प्रयोगशाला में आग लग गई थी। जिसके बाद प्रयोगशाला खंडहर में तब्दील हो गया था। यह लैब आज भी खंडहर में ही तब्दील है। इसी तरह से केसीएस स्कूल में कम्प्यूटर शिक्षा की पहल हुई थी। वर्तमान समय में इस कक्ष से उपकरण नदारत है तो कक्ष बदहाल हो गया है।
इनका कहना है-
शिक्षा उपकर की राशि से स्कूलों में आवश्यक संसाधन जुटाए जा रहे हैं। जिसमें बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर की भी खरीदी हुई है। इसके साथ मरम्मत के कार्य भी किए जा रहे हैं। शिक्षा उपकर की राशि का उपयोग एलईडी, टीवी या कम्प्यूटर खरीदने में किया जा सकता है। इस संबंध में भोपाल के अधिकारियों से जानकारी लेकर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
सत्येन्द्र धाकरे, (निगमायुक्त कटनी)
स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं की पहल दो वर्ष पहले की गई थी। बैठक में ही इस संबंध में चर्चा कर शिक्षा विभाग ने कार्ययोजना बनाई थी। अब तक दो बार नगर निगम को स्कूलों और उनमें आवश्यक सामग्री की लिस्ट दी जा चुकी है,लेकिन निगम के द्वारा किसी तरह की सार्थक पहल नहीं की जा रही है मुकेश द्विवेदी, (प्रभारी स्मार्ट क्लास)