राज्य मंत्रिमंडल के 5 फैसले - महाराष्ट्र राज्य आधारभूत सुविधा विकास महामंडल बनाने के लिए मंजूरी
जानिए राज्य मंत्रिमंडल के 5 फैसले - महाराष्ट्र राज्य आधारभूत सुविधा विकास महामंडल बनाने के लिए मंजूरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के सभी शहरी स्थानीय स्थानिक स्वराज्य संस्थाओं (शहरी नगर निकाय) में ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण के लिए आईसीटी तकनीकी पर आधारित परियोजना लागू की जाएगी। ठोस अपशिष्ट उठाने के लिए सभी वाहनों में जीपीएस अथवा आईसीटी आधारित ट्रैकिंग व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया गया है। बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई। यह परियोजना 578 करोड़ 63 लाख रुपए की है। इस परियोजना के लिए महाराष्ट्र सुवर्ण जयंती नगरोत्थान महाभियान के जरिए 100 प्रतिशत आर्थिक सहायता की जाएगी। परियोजना को संबंधित आयुक्त और मुख्याधिकारियों के माध्यम से लागू किया जाएगा। इस परियोजना को लागू करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के जरिए राज्य स्तर पर करार होगा। शहरों में ठोस अपशिष्ट के संकलन, वर्गीकरण और परिवहन की प्रक्रिया वैज्ञानिक पद्धति से करना आवश्यक है। केंद्रीय पद्धति से इसका प्रभावी विनियमन के लिए आईसीटी तकनीकी पर आधारित प्रणाली का इस्तेमाल त्रयस्थ संस्था के माध्यम से करना अनिवार्य किया गया था। लेकिन निधि के अभाव में यह प्रणाली लागू नहीं हो पाई थी। मगर अब इस प्रणाली को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए निधि उपलब्ध कराई जाएगी।
महाराष्ट्र राज्य आधारभूत सुविधा विकास महामंडल बनाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। राज्य में सड़कों के गुणवत्तापूर्ण और गति से देखभाल व मरम्मत कार्य के लिए यह महामंडल बनाया जाएगा। महामंडल के जरिए राज्य के सार्वनजिक निर्माण कार्य विभाग की सड़कों के देखभाल और मरम्मत काम किया जाएगा। भारी वाहनों की आवाजाही के कारण सड़कें खराब हो जाती हैं। इसके मद्देनजर सड़कों की मरम्मत काम के लिए महामंडल स्थापित किया जाएगा। इस महामंडल की शूयरपूंजी 100 करोड़ रुपए रहेगी। राज्य सरकार की ओर से 51 प्रतिशत हिस्सा चरण बद्ध तरीके से उपलब्ध कराया जाएगा। सड़कों, इमारतों के विकास और देखभाल के लिए पूरक निधि भी खड़ी की जाएगी। राज्य में 3 लाख किमी लंबी सड़क है। जिसमें से 1 लाख किमी प्रमुख राज्य मार्ग और प्रमुख जिला मार्ग है। राज्य मार्ग की सड़कें राज्य के सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग की हैं।
मैंग्रोव और समुद्री जीव विविधता के लिए विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में जाकर शोध करने के लिए 75 बच्चों को तीन साल के लिए छात्रवृत्ति देने के फैसले को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। राज्य सरकार की ओर हर साल 25 बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। जिसमें से 30 प्रतिशत सीटें लड़कियों के लिए होंगी। मरीन साइंस, मरीन मरिन इकोलॉजी, मरीन बायोलॉजी, मरीन फिशरीज, मरीन बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी जैसे पाठ्यक्रमों के लिए 15 स्नातकोत्तर और 10 पीएचडी कुल 25 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाएगी। स्नातकोत्तर छात्रवृत्ति के लिए विद्यार्थियों की अधिकतम आयु 35 और पीएचडी के लिए अधिकतम आयु 40 वर्ष होनी चाहिए। इस योजना का लाभ पाने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों की वार्षिक आय 8 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। इस योजना के लिए 31 करोड़ 50 लाख रुपए खर्च को मंजूरी दी गई है। वन विभाग के मैंग्रोव समुद्रीजीव संवर्धन प्रतिष्ठान के जरिए छात्रवृत्ति दी जाएगी। छात्रवृत्ति के लिए हर साल अप्रैल और मई महीने में मैंग्रोव प्रतिष्ठान के अधिकृत वेबसाइट पर विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगी।
राज्य मंत्रिमंडल ने मनोरंजन शुल्क वसूली में छूट देने को मंजूरी दी है। राजस्व व वन विभाग के 1 जुलाई 2017 के शासनादेश के अनुसार मनोरंजन शुल्क भरने से 15 सितंबर 2017 तक दी गई छूट 16 सितंबर 2017 से 30 सितंबर 2026 तक की अवधि तक शुरू करने के लिए मंत्रिमंडल ने मान्यता दी है। राज्य में 16 सितंबर 2017 से वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम लागू है। इस दिन से राज्य सरकार के मनोरंजन शुल्क वसूलने व वसूली का अधिकार स्थानिक प्राधिकरण के पास हस्तांतरित करने के दिन तक मनोरंजन शुल्क वसूली में छूट देने का फैसला लिया गया है।
कोल्हापुर के शिरोल तहसील के जयसिंगपुर स्थित उदगांव में 365 बिस्तर (बेड) का प्रादेशिक मनोरोग अस्पताल बनाने को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इसके लिए 146 करोड़ 22 लाख रुपए निधि चरण बद्ध तरीके से उपलब्ध कराई जाएगी। कोल्हापुर में सरकारी मनोरोग अस्पताल नहीं है। इस कारण मरीजों को पुणे अथवा रत्नागिरी में जाना पड़ता है। इसके मद्देनजर उदगांव में प्रादेशिक मनोरोग अस्पताल बनाने का फैसला लिया गया है। रत्नागिरी के प्रादेशिक अस्पताल के तर्ज पर शिरोल के प्रादेशिक मनोरोग अस्पताल में पद निर्माण करने को मंजूरी प्रदान की गई है। राज्य में पुणे, ठाणे, नागपुर और रत्नागिरी में प्रादेशिक मनोरोग अस्पताल है। जिसमें 5 हजार 695 मनोरोगियों की भर्ती करने की क्षमता है। इसके अलावा बीड़ के अंबेजोगाई में 100 बिस्तर का बुजुर्गों और मानसिक बीमारी का केंद्र स्थापित किया गया है। वहीं जालना में 365 बिस्तर का प्रादेशिक मनोरोग अस्पताल बनाना जा रहा है।