नागपुर सहित प्रदेश के दस प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर में 40 फीसदी की बढ़ोतरी

नागपुर सहित प्रदेश के दस प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर में 40 फीसदी की बढ़ोतरी

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-14 15:40 GMT
नागपुर सहित प्रदेश के दस प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर में 40 फीसदी की बढ़ोतरी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर की समस्या सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक ही सीमित नहीं रही है। महाराष्ट्र के नागपुर, चंद्रपुर, औरंगाबाद, नासिक, पुणे सहित प्रमुख दस शहरों में सर्दी के मौसम में पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष  वायु प्रदूषण का स्तर बढ गया है। हालांकि यह उम्मीद की जा रही थी कि लॉकडाउन के कारण वायु प्रदूषण में कमी दर्ज होगी, लेकिन केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकडों के विश्लेषण के बाद यह बात सामने आई है। प्रदेश के मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, कल्याण और सोलापुर के साथ-साथ उक्त शहरों में लगे प्रदूषण निगरानी स्टेशनों के रियल टाइम के प्रदूषण के आंकडें बताते है कि इस साल सर्दियों के प्रदूषण में बदलाव दर्ज किए गए हैं। यह विश्लेषण केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध आंकडों से किया गया है। आंकडे बताते है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल वायु प्रदूषण के स्तर में 40 प्रतिशत तक बढोतरी हुई है।

सीपीसीबी के इस साल दिसंबर के पहले सप्ताह के आंकडों के आधार पर राजधानी के पर्यावरण एवं विज्ञान केन्द्र ने यह विश्लेषण किया है। पर्यावरण केन्द्र के अनुसार मुंबई में साप्ताहिक रुप से वायु प्रदूषण 10 गुना, नवी मुंबई में 16 गुना, पुणे में पांच गुना, कल्याण में 8 गुना और नागपुर, चंद्रपुर सहित अन्य शहरों में भी वायु प्रदूषण का स्तर में भी कमोबेश इतनी ही वृद्धि हुई है। शीतकालीन हवा ज्यादा खराब हो गई है क्योंकि इस साल अक्टूबर पीएम 2.5 का स्तर पिछले अक्टूबर की तुलना में हिस्सेदारी बढकर 40 प्रतिशत हो जाती है और नवंबर के दौरान यह औसतन 46 प्रतिशत तक बढ जाती है। पीएम 2.5 का हिस्सा इस साल दिवाली के दिन 60 फीसदी तक पहुंच गया था।    

पर्यावरण एवं विज्ञान केन्द्र की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉचौधरी का कहना है कि भले ही मुंबई क्षेत्र में स र्दियों के प्रदूषण का जाल समुद्र और बेहतर वेंटिलेशन के कारण अधिक नहीं है, लेकिन भौगोलिक लाभ और अनुकूल मौसम विज्ञान के बावजूद स र्दियों के स्तर में वृद्धि हुई है। यह उच्च स्थानीय प्रदूषण और मजबूत क्षेत्रीय प्रभावों को इंगित करता है। विश्लेषण से पता चलता है कि भले ही 2020 में 11 महीनों के लिए पीएम 2.5 का औशत स्तर पिछले साल की तुलना में काफी कम हो, लेकिन गर्मियों में लाकडाउन के बावजूद स र्दियों में मुबई के अलावा प्रदेश के अन्य शहरों में पीएम 2.5 का स्तर मानक से अधिक बढ गया 

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