रीवा में 300 करोड़ के घोटाले में नपे कटनी नगर निगम के कार्यपालन यंत्री और एसडीओ
रीवा में 300 करोड़ के घोटाले में नपे कटनी नगर निगम के कार्यपालन यंत्री और एसडीओ
डिजिटल डेस्क,कटनी। सुधार न्यास रीवा में 300 करोड़ के घोटाले में कटनी नगर निगम में पदस्थ एसडीओ एच.के. त्रिपाठी और अधीक्षणयंत्री शैलेंद्र शुक्ला पर निलंबन की गाज गिरी है। नगर निगम रीवा के आयुक्त ने यह कार्यवाई करते हुए इसकी जानकारी कटनी महापौर और आयुक्त को भी दी है। दोनों अधिकारियों को निलंबित करते हुए इन्हें शहरी विकास अधिकरण रीवा में अटैच कर दिया गया है। यहां पर जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान तो किया जाएगा साथ में विभागीय जांच अलग से कराये जाने के बाद आयुक्त ने कही है। गौरतलब है कि रीवा नगर निगम में वर्ष 1992 में योजना क्रं. 6 में 91.375 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। उस समय रीवा में एच.के. त्रिपाठी उपयंत्री और सहायक यंत्री के पद पर कार्यरत रहे। साथ ही कार्यपालनयंत्री के रूप में शैलेंद्र शुक्ला जिम्मेदारियों का पालन करते रहे। दोनों के कार्यकाल में नगर निगम रीवा को करीब 300 करोड़ रुपये की क्षति पहुंचाई गई। इसके लिए प्रत्यक्ष रूप से दोनों अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है और इन पर निलंबन की कार्यवाई की गई है।
यहां पर भी विवादों से रहा नाता
कटनी नगर निगम में भवन निर्माण अनुज्ञा शाखा की जिम्मेदारी संभालने वाले एच.के. त्रिपाठी का विवादों से गहरा नाता रहा। अवैध अतिक्रमण की शिकायत नगर निगम परिषद की बैठक में भी उठी। यहां पर कांगे्रस पार्षद मौसूफ बिट्टू ने यह मामला उठाया कि उनके कार्यकाल में नगर निगम में काफी जगह पर अतिक्रमण हुआ है। अतिक्रमण हटाने के नाम पर वसूली का भी आरोप कांगे्रस पार्षद मिथलेश जैन ने लगाया था। नगर निगम परिषद की बैठक में यह मामला पहुंचा जिसके बाद एसडीओ श्री त्रिपाठी भवन शाखा से हटाया गया।
मामले पर एक नजर
यह मामला वर्ष 2007-8 से वर्ष 2015 के बीच में सामने आया। इसके पहले सुधारन्यास की भूमि पर नामांतरण की विधिवत कार्यवाई नहीं की गई थी और इसकी रजिस्ट्री कई लोगों ने कराते हुए नामांतरण करा लिया। यह मामला कलेक्टर रीवा ने स्वयं निगरानी में लिया और पाया कि नामांतरण में गड़बड़ी की गई है। जिसके बाद 99 प्रकरणों में नामांतरण को निरस्त किया गया तथा उस भूमि को भू-अभिलेख में रीवा नगर निगम के नाम नामांतरण किया गया है। दोषी पाये जाने पर दोनों अधिकारियों को नोटिस देते हुए जवाब मांगा गया। अधिकारियों के भेजे गए जवाब से नगर निगम रीवा संतुष्ट नहीं दिखाई दिया। 8 अगस्त को मेयर इन काउंसिल की बैठक में दोनों अधिकारियों की कारगुजारी का मामला पेश करते हुए निलंबन का प्रस्ताव दिया गया। करोड़ों के घोटाले पर मेयर इन काउंसिल ने भी निलंबन पर हरी झंडी दे दी। अधिकारियों को निलंबन का पत्र दे दिया गया है। साथ ही उच्चाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को भी निलंबन की कार्यवाई से अवगत कराया गया है।
कार्यवाई नहीं करने के दोषी
निलंबन आदेश में दोनों अधिकारियों को कार्यवाई नहीं करने के लिए दोषी माना गया है। निलंबन आदेश में लिखा गया है कि श्री त्रिपाठी लंबे समय तक नगर निगम रीवा में पदस्थ रहे और उस समय अवैधानिक रूप से लोगों द्वारा नगर निगम की भूमि पर निर्माण करते हुए अतिक्रमण कर लिया गया। कुछ प्रकरणों में अधिकारी द्वारा यह जानते हुए भी कि यह भूमि नगर निगम की है इसके बावजूद भवन निर्माण की अनुमति दी गई इससे करोड़ों की क्षति नगर निगम को हुई। 6 वर्ष के अंतराल में बहुत से मामले अवैध निर्माण के आए। इसके बावजूद सहायकयंत्री द्वारा किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले में तत्कालीन सहायक यंत्री और प्रभारी कार्यपालन यंत्री शैलेंद्र शुक्ला को भी दोषी पाया गया। इन्होंने भी वही कृत्य किया जिस तरह का कृत्य एसडीओ ने करते हुए नगर निगम के खजाने को चूना लगाया।