रिटायर्ड शिक्षकों के 12.64 लाख झांसी के व्यक्ति के खाते में पहुंचे, मचा हडक़म्प
ट्रेजरी और शिक्षा विभाग एक दूसरे को बता रहे जिम्मेदार रिटायर्ड शिक्षकों के 12.64 लाख झांसी के व्यक्ति के खाते में पहुंचे, मचा हडक़म्प
डिजिटल डेस्क,कटनी। पशु चिकित्सा डेयरी पालन विभाग में चतुर्थ श्रेणी के पांच कर्मचारियों की 8.60 लाख रुपए का मामले में दोषी सहायक ग्रेड-3 आलोक चौरसिया पर पुलिस जहां किसी तरह की कानूनी कार्यवाही नहीं कर पाई है और कर्मचारियों के खातों में एरियर्स और जीपीएफ की राशि नहीं पहुंची है कि अब शिक्षा विभाग में भी इसी तरह मामला सामने आया है। जिसने फिर से उस व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है, जिसके दावे अक्सर अफसर करते हैं।
ढीमरखेड़ा विकासखण्ड में दो सेवानिवृत्त शिक्षकों की 12.64 लाख की राशि झांसी के किसी व्यक्ति के खाते में जमा करा दी गई। गनीमत रही कि समय पर इसकी जानकारी लग गई। बुधवार तक वापस 12 लाख रुपए आ जाने से अफसरों ने राहत की सांस ली है और पूरे मामले में दोषी मिलने वाले आहरण संवितरण अधिकारी के ऊपर कार्यवाही करने के संबंध में जिला कोषालय ने लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र भेज दिया है। हालांकि पूरे मामले में दोनों विभागों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।
इस तरह से बरती गई थी लापरवाही
ढीमरखेड़ा विकासखण्ड अंतर्गत स्कूलों से दो शिक्षक उमेश कुमार पटेल और विजय सिंह नवंबर में सेवानिवृत्त हुए थे। ढीमरखेड़ा विकासखण्ड आहरण संवितरण अधिकारी की यह जिम्मेदारी थी कि उक्त राशि को सही खाते में जमा कराए। यहां पर डीडीओ का लॉगिन और पासवर्ड किसी अन्य ने यूज कर लिया। जिसने खातों का नंबर ही बदलकर यह राशि किसी अन्य व्यक्ति के खाते में जमा करा दी। सेवानिवृत्त शिक्षकों के खाते में जब राशि नहीं पहुंची तो बवाल मचा और इसकी जानकारी डीडीओ ने कोषालय अधिकारी को दी थी। जिसके बाद ट्रेजरी ऑफिस ने झांसी के खाते को होल्ड कर दिया था।
दोनों के कनेक्शनों की नहीं हुई जांच, अंजान बने कर्मचारी
भले ही शिक्षकों के खातों में यह राशि दोबारा पहुंच जाए। इसके बावजूद डीडीओ कार्यालय से राशि भेजने वाले कर्मचारी और झांसी के खाताधारक के कनेक्शन की जांच न तो शिक्षा विभाग और न ही जिला कोषालय कार्यालय ने इसकी जांच कराई है। दोनों विभाग के अधिकारी यह पता नहीं लगा सके हैं कि इसके पीछे किसी की साजिश रही, या फिर त्रुटिवश ही हुआ है। जानकार तो यह भी बताते हैं कि विभागीय कर्मचारियों का खाता डीडीओ में फीड रहता है। यदि कोई कर्मचारी अपना खाता नंबर बदलता है तो सबसे पहले उक्त खाते की फीडिंग करनी होती है।
खाताधारक की बदल गई थी नीयत
खाते में भारी-भरकम राशि पहुंचने के बाद खाताधारक की तो नीयत भी बदल चुकी थी, जब तक उसके खाते में होल्ड लगाया जाता तब तक वह मोबाइल के माध्यम से ही उक्त राशि को दूसरे खाते में ट्रांसफर कर चुका था। जिसके चलते पुलिस की भी मदद लेनी पड़ी और पूरी राशि लेने के लिए अफसरों को 13 दिनों तक इंतजार करना पड़ा।
दोषी लिपिक लापता
पशु चिकित्सा सेवा में 8 लाख रुपए से अधिक गड़बड़ी करने वाले दोषी लिपिक फिलहाल डेढ़ माह से अधिक समय से लापता ही है। इधर यहां के उपसंचालक ने माधवनगर थाने में भी एक शिकायत दर्ज कराई थी कि दोषी लिपिक पर कार्यवाही की जाए। इसके बावजूद अभी तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है। जिसके चलते अब अन्य विभागों में भी इसी तरह का मामला सामने आते जा रहा है। पशु चिकित्सा सेवा कार्यालय में तो गुरुवार को इस बात की चर्चा रही कि उक्त लिपिक कर्मचारियों से संपर्क बनाए हुए है। जिसमें उसने राशि वापस करने का भरोसा दिलाया है। हालांकि वह राशि कब तक वापस करेगा। इस संबंध में फिलहाल दोषी कर्मचारी समय-सीमा नहीं दिया है।
दोनों विभाग के अफसरों ने यह कहा
इस मामले में ढीमरखेड़ा डीडीओ की लापरवाही पाई गई है। जिसके लिए संबंधित अधिकारी को नोटिस जारी किया गया है साथ ही लोक शिक्षण संचालनालय को भी पत्र लिखा गया है। इसमें कोषालय की किसी तरह की गलती नहीं है। राहत की बात यह है कि बुधवार तक खाते में राशि वापस आ चुकी है। -संजय भदौरिया, जिला कोषालय अधिकारी
सेवानिवृत्त शिक्षकों की राशि को दूसरे खाते में जमा कराने के मामले में यहां की किसी तरह से गलती नहीं है। यह कोषालय की जिम्मेदारी रही। इससंबंध में उच्चाधिकारियों को पत्र सौंपकर जांच कराए जाने की मांग की है -विनोद दीक्षित, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी