रिंग रोड के लिए जो पेड़ कटेंगे उनकी भरपाई करेंगे 1 लाख 33 हजार पौधे

काम शुरू होने के साथ ही नर्सरी में रोपे जाएँगे पौधे रिंग रोड के लिए जो पेड़ कटेंगे उनकी भरपाई करेंगे 1 लाख 33 हजार पौधे

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-11 11:11 GMT
रिंग रोड के लिए जो पेड़ कटेंगे उनकी भरपाई करेंगे 1 लाख 33 हजार पौधे

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। 3 हजार करोड़ से अधिक की लागत वाले रिंग रोड प्रोजेक्ट के लिए शुक्रवार को हुई लोक सुनवाई में प्रकृति प्रेमियों ने जमकर आपत्तियाँ लगाईं, तो उनके लिए सुझाव भी दिए। निर्माण से होने वाले नुकसान गिनाए गए तो उन्हें कम या समाप्त करने का समाधान भी दिया गया। प्रोजेक्ट कैसे जनता के हित में रहे और प्रकृति भी मुस्कुराती रहे इसके लिए लगभग हर पहलू पर चर्चा  की गई। सबसे अच्छी बात तो यह रही कि शहर की प्रगति के द्वार खोलने वाली इस योजना पर पर्यावरणविदों ने अड़ंगा नहीं लगाया, बल्कि पर्यावरण और विकास के साथ कदमताल की गई। यही कारण था कि खुद प्रोजेक्ट डायरेक्टर को यह बताना पड़ा कि हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे, बल्कि 3 हजार पेड़ काटे जाएँगे और उसकी एवज में 1 लाख 33 हजार पौधे रोपे जाएँगे। 

शहर के सर्किल में बनने वाली फोर लेन रिंग रोड से प्रदूषण नियंत्रण के लिए, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लोक सुनवाई आयोजित की गई। अपर कलेक्टर शेर सिंह मीणा की अध्यक्षता में आयोजित सुनवाई में विभिन्न संगठनों के लोगों ने पर्यावरण सुरक्षा, प्लांटेशन, मुआवजा आदि के संबंध में अपने सुझाव रखे।

 इस दौरान एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सोमेश बांझल ने पर्यावरण सुरक्षा व प्रदूषण नियंत्रण के लिए किए जा रहे तमाम उपायों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वे पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक उपाय करेंगे। इसी दौरान आपने बताया कि प्रोजेक्ट के दौरान संभवत: 3 हजार वृक्ष काटे जाएँगे, लेकिन उसकी भरपाई के लिए हम 1 लाख 33 हजार पौधों का रोपण करेंगे और सबसे बड़ी बात कि ये पौधे छोटे नहीं होंगे बल्कि प्रोजेक्ट शुरू होने के साथ ही नर्सरी में रोप दिए जाएँगे। ढाई साल में रिंग रोड का कार्य शुरू होगा और तब तक ये पौधे 8 से 10 फीट के हो जाएँगे, तब पूरी सुरक्षा के साथ इन्हें रिंग रोड पर रोप दिया जाएगा।

पानी की खेती भी होगी सड़क पर, हो रही तैयारी

बताया गया कि रिंग रोड के हर 5 सौ मीटर के दायरे में वॉटर रिचार्जेबल सिस्टम लगाया जाएगा। यानी करीब 240 सिस्टम तैयार होंगे। इससे रिंग रोड पर पानी की खेती होगी जिसका लाभ आसपास के खेतों और रहवासियों को मिलेगा। हाईवे पर हमेशा ही जानवरों के कारण एक्सीडेंट होते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए काउ कैचर और हांका गैंग पूरे समय मौजूद रहेंगे। जंगली जानवरों के लिए अंडर पास बनाए जाएँगे। कैनाल और नर्मदा नदी पर जो ब्रिज बनेंगे उनमें जालियाँ होंगी ताकि लाेग गंदगी जल में न फेंक पाएँ। 

100 से ज्यादा लोगों ने लगाई हैं आपत्तियाँ

लोक सुनवाई में पर्यावरणविद मनीष कुलश्रेष्ठ ने नर्मदा नदी को लेकर कई आपत्तियाँ लगाईं। उनका कहना था कि रेत के लिए नर्मदा को छलनी न किया जाए बल्कि डस्ट का उपयोग हो, जो भी स्ट्रक्चर हो वह भूकम्प रोधी हो, जो भी पौधे लगाए जाएँ वे यहाँ के मूल पौधे हों। 

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