पनवेल: मुआवजे का इंतजार, कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई न होते देख जब्ती करने पहुंचा लाचार
- अधिकारियों की मान-मनौव्वल से लौटा परियोजना प्रभावित किसान
- जल शुद्धिकरण केंद्र निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई थी जमीन
- सरकार अदालत का आदेश भी भूली
डिजिटल डेस्क, पनवेल. माणगांव जल शुद्धिकरण केंद्र का फायदा हजारों लोगों को मिल रहा है, लेकिन इस परियोजना में भूमि खोनेवाले किसान तक 24 साल बाद भी मुआवजा का 55 लाख रुपया नहीं पहुंच पाया है। अपने लिए न्याय की आस में परियोजना प्रभावित किसान ने कोर्ट का रुख किया था, लेकिन अदालत के आदेश का भी प्रशासन पर कोई परिणाम नहीं हुआ। जिसके बाद किसान सरकारी कार्यालय पर जब्ती करने पहुंच गया। अधिकारियों की मान-मनौव्वल के बाद किसान माना तो, लेकिन लौटते-लौटते जल्द मुआवजा देने की चेतावनी दे आया है।
साल 2,000 में महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण जल शुद्धिकरण केंद्र माणगांव से शाहपाड़ा प्रादेशिक जल आपूर्ती केंद्र को जोड़ने के लिए आमटेम गांव के किसान तुकाराम गायकर की जमीन अधिग्रहित की गई थी। जमीन लेने के करीब 24 वर्षों बाद भी प्रशासन की ओर से तुकाराम को 55 लाख रुपए का मुआवजा नहीं दिया गया है। इसलिए दो साल पहले गांव के किसानों ने इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में गुहार लगाई थी, अदालत ने किसानों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार से जल्द मुआवजा देने का आदेश दिया था।
उस पर भी महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया तो, किसान ने जब्ती की नोटिस जारी की कोर्ट से याचिका की। जिस पर अदालत ने नोटिस जारी किया है।
सरकार अदालत का आदेश भी भूली
कई साल से प्रतीक्षा करने से परेशान किसान तुकाराम ने अदालत की शरण ली थी। जहां से कोर्ट ने तत्काल मुआवजा देने का आदेश दिया। लेकिन डेढ़ साल बाद भी अदालत के आदेश पर प्रशासन ने कोई कदम उठाया।
जिसके बाद किसान ने जब्ती का आदेश देने की मांग की और अब अपनी नुकसान भरपाई के लिए जीवन प्राधिकरण के दफ्तर में जब्ती करने पहुंच गया। इससे हड़बड़ाए अधिकारियों ने किसानों को मनाया और कार्यालय की जब्ती टल गई।