अब तक यूपी के चुनाव में कोई प्रभाव नहीं छोड़ सकी है शिवसेना
भाजपा का दावा,वोट काटने की स्थिति में भी नहीं है पार्टी अब तक यूपी के चुनाव में कोई प्रभाव नहीं छोड़ सकी है शिवसेना
डिजिटल डेस्क,मुंबई। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के एलान के साथ ही शिवसेना ने भी यूपी विधानसभा चुनाव में उतरने का एलान कर दिया है। पार्टी ने पहले 100 सीटों पर चुनाव लड़ने एलान किया है पर अब केवल 50 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया। हालांकि शिवसेना इसके पहले भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ चुकी पर पार्टी के उम्मीदवार इन चुनावों में कोई प्रभाव नहीं छोड़ सकी थी।
वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 57 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी को कुल 88 हजार 595 वोट मिले थे और 56 सीटो पर जमानत जब्त हो गई थी। शिवसेना को तब 0.10 प्रतिशत वोट मिले थे। शिवसेना की यह हालत तब थी जब वह भाजपा के मित्र दलों में शामिल थी। शिवसेना का यही हाल 2012 के विधानसभा चुनाव में भी था। पार्टी के 31 उम्मीदवारों में से सभी की जमानत जब्त हो गई थी। इस चुनाव में पार्टी को कुल 21714 वोट मिले थे।
‘शिवसेना उत्तर प्रदेश में 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने जा रही है।शिवसेना हमेशा से हिंदुत्ववाद की प्रबल पक्षधर रही है। शिवसेना ही पहले से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग करती रही है। शिवसेना का हिंदुत्व सच्चा हिंदुत्व है। इस बार उत्तर प्रदेश के किसान शिवसेना के साथ हैं। हम किसी दल को फायदा-नुकसान पहुंचाने नहीं बल्कि चुनाव जीतन के लिए मैदान में उतर रहे हैं।’
आनंद दुबे, शिवसेना प्रवक्ता
‘उत्तर प्रदेश की राजनीति में शिवसेना का कोई अस्तित्व नहीं है। वे पहले भी चुनाव लड़ कर सभी सीटों पर अपनी जमानत जब्त करा चुके हैं।इस बार भी उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने का नया रिकार्ड बनेगा।चूंकि शिवसेना अब कांग्रेस-एनसीपी के साथ चली गई है इस लिए अब उसकी हिंदुत्ववादी छवि भी नहीं रही।यूपी वालों को पता है कि शिवसेना ने सत्ता के लिए किस तरह हिंदुत्व से किनारा कर लिया है। इसलिए उनके उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने से भाजपा को रंचमात्र भी असर नहीं होगा। शिवसेना उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वोट कटवा की भूमिका निभाने की स्थिति में भी नहीं है।’ अजय सिंह, प्रवक्ताः मुंबई भाजपा